कुमार इंदर, जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर संभाग के सबसे बड़े सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज की डीन गीता गोइन का एक कारनामा सामने आया है. जिसमें गीता गोइन ने अपनी हद से बाहर जाकर एक सर्कस चलाने वाले को सरकारी जमीन आवंटित कर दी. मेडिकल कॉलेज की डीन गीता गोइन को यह पता ही नहीं है कि जो जमीन वह आवंटित की है, वह उनकी हद में आती ही नहीं. सवाल यह उठता है कि आखिर गीता गोइन ने कैसे एक सरकारी विभाग को बाईपास करते हुए अपनी कलम से उसे जमीन पर 40 दिनों की सर्कस चलाने के लिए स्वीकृति कैसे दे दी.
दरअसल पूरा मामला मेडिकल कॉलेज के पीछे बद्दा ग्राउंड का है. जहां पर डीन गीता गोइन ने सीएम राइस स्कूल की बिल्डिंग बनाने के लिए आरक्षित मैदान पर इंदौर की एक कंपनी को 40 दिन के लिए सर्कस चलाने की अनुमति दे दी. इसके लिए डीन गीता गोइन ने सरकारी ट्रेजरी में 46 हज़ार रुपए जमा भी कराए हैं. जिसकी एक रसीद भी जारी हुई है.
सीएम राइज स्कूल की जमीन पर लगा सर्कस
अनुमति मिलने के बाद जैसे ही सर्कस कंपनी ने सीएम राइज स्कूल की जमीन पर सर पूरा सेटअप जमाया तो स्कूल के प्रिंसिपल ने इस बात को लेकर आपत्ति दर्ज कराई. जिस पर सर्कस के संचालक ने कहा कि उन्होंने इस काम के लिए मेडिकल की डीन से परमिशन ली है. लिहाजा वो सर्कस नहीं हटाएंगे.
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कमिश्नर-कलेक्टर को लिखा पत्र
प्रिंसिपल किरण राव ने इसको लेकर संभाग कमिश्नर, कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को एक लेटर लिखा. जिसमें यह बताया गया कि जिस जमीन पर सर्कस लगा है. वहां पर सीएम राइस स्कूल की बिल्डिंग का काम शुरू होना है. जो सर्कस लगाने से प्रभावित हो रहा है.
प्रिंसिपल ने की सर्कस हटाने की मांग
स्कूल की प्रिंसिपल किरण राव का कहना है कि 5 फरवरी से बच्चों के एग्जाम स्टार्ट होने हैं और ऐसे में उनकी स्कूल के बगल में भारी भरकम सर्कस लगा दी गई है. जिससे न केवल पढ़ाई में डिस्टर्ब होगी बल्कि आने वाले दिनों में एग्जाम में भी इसका असर पड़ेगा लिहाजा इस सर्कस तत्काल वहां से हटनी चाहिए.
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डीन की गलती के चलते फंसा सर्कस मालिक
सर्कस मालिक का कहना है कि उसने तो सारी नियम प्रक्रिया अपनाते हुए ही अपने सर्कस चलाने की अनुमति मांगी है, जिसके लिए बाकायदा उसने एग्रीमेंट भी किया है और 46 हज़ार रूपए देकर सरकारी रसीद भी कटाई है. सर्कस मालिक का कहना है कि उसका इतना सामान लाने में ही 18 लख रुपए खर्च हो गया है और ऐसे में वह बिना सर्कस चलाएं सामान ले जाता है तो इतना ही खर्च फिर से होगा. लिहाजा इतना भारी भरकम नुकसान की भरपाई कौन करेगा.
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