सत्या राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सरकारी अस्पतालों में वितरित नकली और गुणवत्ता विहीन पैरासिटामोल टैबलेट के साइड इफेक्ट्स ने मरीजों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। 9M इंडिया लिमिटेड कंपनी द्वारा सप्लाई की गई दवाओं के भंडाफोड़ के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या गरीब मरीजों की जान की कीमत सिर्फ एक नोटिस मात्र है? जून से अब तक इलाज कराने वाले परिजनों और सूत्रों के अनुसार, हजारों मरीजों ने ये दवाएं खाई हैं, लेकिन मौतों और गंभीर रिएक्शन का कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने कंपनी के तीन बैचों पर रोक लगा दी है, लेकिन मरीजों को मुआवजा और जांच की मांग तेज हो गई है।

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अमानक दवाओं पर रोक, अस्पतालों से वापस मंगाया गया स्टॉक

दाऊ कल्याण सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 9M इंडिया लिमिटेड ने करीब 30 हजार टैबलेट सप्लाई किए थे, जो छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSC) के माध्यम से वितरित हो चुके हैं। जांच में दवाओं को अमानक पाया गया, जिसके बाद CGMSC ने तत्काल प्रभाव से इनका उपयोग बंद करने और स्टॉक वापस मंगाने का आदेश जारी किया। लेकिन तब तक 17 हजार से ज्यादा टैबलेट मरीजों द्वारा खा ली गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, नकली दवा के सेवन से कई मौतें हुई हैं, लेकिन अस्पतालों में इसका कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं किया गया।

मरीजों को दवाओं से हुए साइड इफेक्ट्स

मरीजों ने दवाओं के साइड इफेक्ट्स की भयावह आपबीती सुनाई है। बुखार के इलाज के लिए डॉक्टरों द्वारा लिखी गई ये दवाएं अस्पताल से ही उपलब्ध कराई जा रही थीं। पूजा साहू नाम की एक मरीज ने बताया कि बुखार होने पर डॉक्टर ने दवा लिखी और हमें अस्पताल से ही मिल गई, लेकिन इसे खाने के बाद चक्कर आने लगे। वहीं नरेश साहू ने कहा कि कई लोगों के शरीर पर अजीब से दाग-धब्बे उभर आए और एलर्जी हो गई, जिसके लिए इंजेक्शन लगवाना पड़ा।

एक अन्य मरीज ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा, “मैं एक सप्ताह तक बुखार की गोली खाता रहा, लेकिन बुखार उतरा ही नहीं। आखिरकार भर्ती हो गया। परिजनों को किसी ने सुझाव दिया कि बाहर से गोली लाकर खाओ। दो-तीन गोली खाने के बाद ठीक लगने लगा और बुखार उतर गया।” जून से अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां मरीजों को गंभीर रिएक्शन झेलना पड़ा। सूत्रों के अनुसार, नकली दवा के कारण कई लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन इसका कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं है।

विशेषज्ञों की चेतावनी- मौत को हत्या मानें, कंपनी पर केस दर्ज हो

इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग पर लोगों का भरोसा कम कर दिया है। इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सचिव राहुल वर्मा ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि नकली, गुणवत्ताहीन या अमानक दवा से मरीजों की मौत होना पक्का है। सीरियस कंडीशन में जीवन रक्षा की दवा अगर काम न करे, तो मरीज की मौत होगी ही। इसे मौत नहीं, बल्कि हत्या कहना चाहिए, ऐसी कंपनियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। पैरासिटामोल जैसी दवाओं के बैच लगातार अमानक घोषित हो रहे हैं। इनके साइड इफेक्ट्स इतने गंभीर हैं कि कोई पैमाना नहीं है जो इन्हें नाप सके।

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (AHPI) छत्तीसगढ़ चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने भी मांग की है कि नकली दवा खाने से कितने लोगों की मौत हुई और कितने को रिएक्शन हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए। प्रभावित मरीजों को मुआवजा देना चाहिए और कंपनी को तत्काल ब्लैकलिस्ट कर हत्या का मामला दर्ज करना चाहिए। अमानक दवा सप्लाई करना सीधे-सीधे मरीजों की हत्या के बराबर है।

स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई तीन बैचों पर रोक, लेकिन मौतों की जांच क्यों नहीं?

CGMSC ने 9M इंडिया लिमिटेड के पैरासिटामोल टैबलेट के तीन बैचों पर रोक लगा दी है। जांच में अमानक पाए जाने के बाद अस्पतालों से सप्लाई की गई टैबलेट वापस मंगाई जा रही हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ रोक लगाने से काम नहीं चलेगा। नकली दवा से हुई मौतों और रिएक्शन की गहन जांच जरूरी है।

9M इंडिया लिमिटेड, जो 2020 में रायपुर में स्थापित हुई एक फार्मा कंपनी है, पर अब सवाल उठ रहे हैं। कंपनी के कारण सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया है। मरीज संगठनों ने मांग की है कि प्रभावित परिवारों को तत्काल मुआवजा दिया जाए और दोषी कंपनी पर सख्त कार्रवाई हो।

यह मामला न केवल रायपुर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए है। गरीब मरीजों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है, जो सरकारी अस्पतालों पर निर्भर होते हैं।