लखनऊ। उत्तर प्रदेश से माफिया का धीरे-धीरे सफाया हो रहा है. करीबन सालभर पहले अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के बाद एक और माफिया मुख्तार अंसारी का भी चैप्टर उत्तर पुलिस की फाइल में क्लोज हो गया है. मुख्तार अंसारी के खिलाफ 43 से अधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से नई दिल्ली में दर्ज तीन मामलों को छोड़कर बाकी सभी उत्तर प्रदेश के विभिन्न थानों में दर्ज है.
माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ सबसे ज्यादा या कहें आधे केस उनके अपने जनपद गाजीपुर के विभिन्न थानों में दर्ज है. इसके बाद वाराणसी और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का नंबर आता है. इसके अलावा मऊ और नई दिल्ली के थानों में भी उसके खिलाफ मामला दर्ज है. सालों तक इन मुकदमों पर अदालतों में हो रही सुनवाई में अब सजा सुनाई जा रही है.
13 मार्च को 36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस के एक मामले में मुख्तार को वाराणसी के एमपी-एमएलए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इससे पहले पांच जून 2023 को भी उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, यह मुकदमा 1991 में वाराणसी के चेतगंज थाने में 1991 में दर्ज हुआ था.
मुख्तार अंसारी को पहली बार जेल 2005 में हुई, तब से वह सलाखों के पीछे ही था. मुख्तार अंसारी केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि कुछ महीने पंजाब की जेल भी काटकर आया था. एक जेल से दूसरे जेल में लगातार शिफ्ट किए जा रहे मुख्तार असांरी पिछले कई महीनों से मुख्तार बांदा जेल में बंद चल रहा था.
मुख्तार अंसारी के खिलाफ चर्चित मामले
- गाजीपुर में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या
- मन्ना हत्याकांड के गवाह रामचंद्र मौर्य की हत्या
- फर्जी शस्त्र लाइसेंस हासिल करने पर केस
- कांग्रेस के नेता अजय राय के भाई की हत्या
- मऊ में ए श्रेणी ठेकेदार मन्ना सिंह हत्याकांड
- रामचंद्र मौर्य के बॉडी गार्ड सिपाही सतीश मर्डर केस
- इलाहाबाद की स्पेशल एमएलए कोर्ट गैंगस्टर के चार केस
- आजमगढ़ के ऐराकला गांव में मजदूर की हत्या
- 1996 को गाजीपुर में एएसपी शंकर जायसवाल पर जानलेवा हमला
- 1997 में पूर्वांचल के कोयला कारोबारी रुंगटा अपहरण
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