देशभर में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. पहले हिमाचल के शिमला में बादल फटा और अब जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के चशोती इलाके में बादल फटने (Kishtwar Cloudburst) से बड़ी तबाही हुई है. इस आपदा में मौत का आंकड़ा बढ़कर अब 44 तक पहुंच गया है। 2 CISF समेत सभी के शव बरामद कर लिये गए हैं. अब तक 167 लोग घायल बताए जा रहे हैं। जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। इसके अलावा अभी करीब 220 लोग लापता हैं। आने वाले समाय में मौत आंकड़े बढ़ भी सकते हैं. लोग पहाड़ से आए पानी और मलबे की चपेट में आ गए.
धार्मिक यात्रा के लिए जुटे कई लोग बह गए
बादल फटने की घटना किश्तवाड़ जिले में पड्डर सब-डिवीजन के चशोटी गांव में हुई. चशोटी मचैल माता मंदिर यात्रा का शुरुआती पॉइंट है. जिस वक्त बादल फटा वहां वहां लंगर चल रहा था. बादल फटते ही वहां पर पानी तेजी के साथ आया, जिसकी चपेट में वहां मौजूद लोग आ गए. जिसमें कई लोग बह गए. राहत बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है. स्थानीय लोग मदद में जुटे हैं.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह बोले- प्रभावित क्षेत्र में बचाव दल पहुंचा
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि, वहां सभी बचाव दल पहुंच गए हैं. वे वहां काम कर रहे हैं और जो भी सहयोग और सहायता जरूरी है, वह सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. हम सभी एक दूसरे के साथ संपर्क में हैं अगर किसी मरीज़ को इलाज के लिए दूसरे अस्पताल में भर्ती कराना पड़े तो उसकी भी व्यवस्था की जाएगी हेलीकॉप्टर के लिए मौसम अनुकूल नहीं हैं.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने स्थानीय डीसी से बात की
अचानक बादल फटने से इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मौजूदा हालात को लेकर स्थानीय डीसी से बात की है. बादल फटने वाली जगह पर एक लंगर चले की वजह से वहां बड़ी संख्या में लोग जमा थे. बाढ़ जैसे हालात पैदा होने की वजह से 10 लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है. हालांकि ये अब तक पता नहीं चल सका है कि लोगों की मौत लैंडस्लाइड में दबने की वजह से हुई है या फिर पानी में बहने की वजह से हुई है. केंद्रीय मंत्री ने इस बारे में पूरी जानकारी स्थानीय डीसी से ली है. आपदा की तस्वीरें डरा देने वाली हैं.
पहले शिमला, अब किश्तवाड़ में बादल फटा
देश के ज्यादातर हिस्सों में बुधवार देर रात से रुक-रुककर बारिश हो रही है. लगातार बारिश होने की वजह से जगह-जगह बादल फटने की घटनाएं भी हो रही थीं. पहले शिमला में बादल फटा और अब जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने की घटना हो गई.
रस्ता मुश्किल है, वहां तक पहुंचना आसान नहीं
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि बादल फटने की बड़ी घटना किश्तवाड़ में हुई है. इस घटना को लेकर उन्होंने स्थानीय डीसी से बात की है. उन्होंने बताया कि जहां पर बादल फटा है वहां पर हालात बहुत मुश्किल हैं. वहां तक पहुंचना आसान नहीं था. लगातार हो रही भारी बारिश की वजह से जगह-जगह पर रास्ता टूटा हुआ है. मौके पर फंसे अपनों के साथ वहां से निकलने की जुगत में लगे हैं.
हर साल अगस्त में होती है तीर्थयात्रा
हर साल अगस्त के महीने में मचैल माता तीर्थयात्रा शुरू होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। 25 जुलाई से 5 सितंबर तक चलने वाली इस यात्रा में पद्दर से चशोटी तक के 19.5 किमी की यात्रा गाड़ियों की जाती है। उसके बाद मचैल तक 8.5 किमी का यात्रा पैदल ही हो पाती है।
उत्तराखंड के धराली में भारी तबाही
उत्तराखंड में मौसम खराब होने की वजह से धराली में हुई तबाही वाली जगह पर सही तरीके से तलाशी और बचाव अभियान चल पा रहा है. कई लोग अब भी लापता हैं. उनके मारे जाने की आशंका है. बचावकर्मियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती उन लापता लोगों का पता लगाना है, जो अगर बच नहीं पाए तो मलबे में फंसे हो सकते हैं.
एजेंसियों के मुताबिक, मलबा पहले से मौजूद धराली गांव और बाज़ार से 40 से 50 फीट ऊपर हो सकता है. सड़क संपर्क टूट जाने की वजह से खुदाई के लिए भारी मशीनें और संसाधन मौके पर बहुत सीमित संख्या में हैं.
बचावकर्मियों ने संभावित जीवित बचे लोगों का पता लगाने के लिए खोजी कुत्तों को तैनात किया है. हालांकि, वक्त की कमी के कारण किसी के भी जिंदा बचे होने की उम्मीद न के बराबर है.
देखते ही देखते आपदा के आगोश में आया धराली
- धराली गांव में पांच अगस्त का दिन वहां मौजूद लोगों के लिए काल बनकर आया. गांव का माहौल शांत था और गांव के ही बगल में बाजार के ऊपर सोमेश्वर देवता के मंदिर में हारदूद मेले की पूजा अर्चना चल रही थी.
- ठीक उसी वक्त दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर जलजला आया और बाढ़ की भीषण गर्जना करती हुई आवाज ने सामने मुखवा गांव के ग्रामीणों को खतरे का संदेश दिया.
- इसके बाद गांव वालो ने सीटियां बजाकर धराली के लोगों को इसकी खबर देने की कोशिश की. गांव के कुछ लोग और धराली के लोग सचेत हो गए जबकि कुछ जलजले के आगोश में आ गए. कुदरत का ये प्रहार इतना खतरनाक था कि सब कुछ अपनी आगोश में ले गया.
- यहां कुदरत का कहर रुका नहीं. एक बार फिर से दोपहर करीब ढाई बजे प्रहार हुआ और खीर गंगा में उफान आ गया, जिससे मुखवा को जोड़ने वाला पुल और मोबाइल टावर भी चपेट में आ गया.
- इसी तरह से तीसरा और चौथा प्रहार करीब तीन से चार बजे आया, जिससे एक बार फिर अफरातफरी मची.
- पांचवां और छठा प्रहार शाम 6 बजे तक आया, जिससे ग्रामीण भौचक्के रह गए और कुछ भी सुध नहीं रही. मोबाइल टावर ध्वस्त हो गए. बिजली पूरी तरह से बंद हो गई और संपर्क टूट गया.
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