ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के अध्यक्ष और पूर्व सांसद बदरुद्दीन अजमल ने दावा किया कि राजधानी दिल्ली की संसद और आसपास के इलाके की इमारतों का मालिक वक्फ बोर्ड है. अजमल ने कहा राजधानी में वसंत विहार से एयरपोर्ट तक का क्षेत्र वक्फ की संपत्ति पर है और सरकार 9.7 लाख बीघा जमीन हड़पना चाहती है. उन्होंने मुस्लिम समाज को भी वक्फ की जमीन देने की मांग की है.

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पूर्व सांसद अजमल ने कहा  “इस बारे में आवाजें उठ रही हैं और दुनिया भर में वक्फ संपत्तियों की सूची सामने आ रही है. संसद भवन, उसके आसपास के इलाके और वसंत विहार से लेकर एयरपोर्ट तक का पूरा इलाका वक्फ की संपत्ति पर बना है. लोगों का यह भी कहना है कि एयरपोर्ट वक्फ की संपत्ति पर बना है,”

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” वक्फ की जमीन का बिना अनुमति के इस्तेमाल करना गलत है. वक्फ बोर्ड के इस मुद्दे पर मोदी सरकार बहुत जल्द अपनी सरकार खो देंगे”, उन्होंने आगे कहा. इस बीच, विपक्षी सांसदों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक के दौरान संसदीय आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है.

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इस पत्र में, विपक्षी सांसदों ने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल द्वारा 14 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित JPC की बैठक के दौरान संसदीय आचार संहिता और प्रक्रिया के नियमों के कई उल्लंघनों का आरोप लगाया है. विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा, “समिति की कार्यवाही अध्यक्ष जगदंबिका पाल द्वारा पक्षपातपूर्ण तरीके से संचालित की गई. अध्यक्ष द्वारा अनवर मणिप्पाडी को समिति के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए दिया गया निमंत्रण समिति के दायरे और अधिकार क्षेत्र में नहीं है.”

विपक्षी सांसदों ने दावा किया कि “कर्नाटक वक्फ घोटाला रिपोर्ट 2012 पर आधारित वक्फ विधेयक 2012 पर प्रस्तुति” शीर्षक वाले नोट में वक्फ विधेयक पर कोई टिप्पणी नहीं थी, बल्कि मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ केवल राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप थे.

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