आज से ठीक 26 साल पहले एक ऐसी घटना हुई थी, जिसने भारत के साथ ही दुनिया भर को भय और हैरानी में डाल दिया था. वो दिन था, 24 दिसंबर 1999 जिस दिन भारतीय विमान IC 814 का अपहरण हुआ था. नेपाल के काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाले हवाई जहाज में आतंकवादी सवार हो गए और बीच हवा में ही हथियारों की नोक पर हाईजैकिंग की घटना को अंजाम दिया गया. इस विमान में क्रू मेंबरों सहित 191 यात्री सवार थे. विमान अपहरण की इस घटना को कुल 5 आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. ये सभी पाकिस्तानी नागरिक थे और ‘हरकत-उल-मुजाहिदीन’ नाम के आतंकी संगठन से जुड़े थे. लाहौर से होते हुए दुबई और फिर कंधार तक 8 दिनों तक सबकी सांसें अटकी रहीं. हाईजैकर्स ने यात्रियों की जान के बदले में भारतीय जेल में कैद तीन खूंखार आतंकियों की रिहाई करवाई.

काठमांडू से विमान उड़ने के बाद भारतीय एयरस्पेस में आ गई. अपहरणकर्ताओं ने विमान को लाहौर ले जाने के लिए कहा. हालांकि, अनुमति नहीं मिलने की वजह से शाम सात बजे विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा. बिना ईंधन भरे अमृतसर से उड़ान भरने के लिए मजबूर किया गया. अमृतसर से उड़ान भरने के बाद विमान ने एक बार फिर लाहौर का रुख किया. रात को किसी तरह विमान पाकिस्तान के लाहौर में उतरा. लाहौर में विमान में ईंधन भरा गया. 25 दिसंबर को रात 1:32 बजे यह दुबई स्थित वायुसेना अड्डे पर उतरा. 25 दिसंबर, 1999 को सुबह 6:20 बजे विमान ने दुबई से उड़ान भरी और 8:33 बजे अफगानिस्तान के कंधार हवाई अड्डे पर उतरा.

विमान अपहरण की इस घटना को कुल 5 आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। सभी हाईजैकर पाकिस्तानी थे, इनके नाम इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर थे. विमान में यात्रियों के बीच वे एक-दूसरे को कोड नामों (छद्म नाम) से बुलाते थे, ताकि उनकी असली पहचान छिपी रहे। अपहरणकर्ताओं के असली नाम और उनके बारे में कुछ जानकारी साझा की जा रही है-

‘चीफ’ इब्राहिम अतहर
इसको विमान में हाईजैक के दौरान उसके साथ चीफ बुला रहे थे. ये मसूद अजहर का भाई है और बहावलपुर में रहता है. ऐसा माना जाता है कि वह पाकिस्तान में ही कहीं छिपा है या सक्रिय है.

‘भोला’ मिस्त्री जहूर इब्राहिम
इसको हाईजैकर्स भोला कोड नाम से विमान में बुला रहे थे. इसके बारे में बताया जाता है कि ये मार्च 2022 में कराची में ‘जाहिद अखुंद’ के नाम से फर्नीचर की दुकान चला रहा था, जहां अज्ञात बंदूकधारियों ने उसे गोली मार दी.

‘डॉक्टर’ शाहिद अख्तर सईद
शाहिद अख्तर सईद को डॉक्टर कोड नाम से विमान में हाईजैकर्स बुला रहे थे. माना जाता है कि वह पाकिस्तान में ही है और अभी भी सक्रिय है.

‘बर्गर’ सनी अहमद काजी
कराची के निवासी सही अहमद काजी को कोड नाम से बर्गर से बुलाया जा रहा था. उसके बारे में भी कहा जाता है कि वह पाकिस्तान में ही है और भारत विरोधी गतिविधियों में सक्रिय है.

‘शंकर’ शाकिर
पाकिस्तान के सुक्कुर निवासी शाकिर भी हाईजैकिंग की घटना में शामिल था. अपहरण के दौरान कोड नाम शंकर था. माना जाता है कि वह पाकिस्तान में ही है.आतंकियों का एक मददगार शहीद लतीफ भी था. हालांकि वह विमान में नहीं था, लेकिन वह इस अपहरण का एक प्रमुख साजिशकर्ता था. उसे अक्टूबर 2023 में पाकिस्तान के सियालकोट में एक मस्जिद के बाहर अज्ञात हमलावरों ने मार दिया. इस मामले में भारत में मौजूद उनके तीन मददगारों (अब्दुल लतीफ, यूसुफ नेपाली और दिलीप कुमार भुजेल) को गिरफ्तार किया गया. उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

3 रिहा आतंकवादियों का क्या हुआ? 

भारत सरकार को सभी पैसेंजर्स की जान के बदले में रिहा किए गए तीनों आतंकवादियों को रिहा कर दिया. इन सभी ने बाहर आकर भारत और दुनिया के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौतियां पैदा कीं. इनके नाम हैं- उमर शेख, मुश्ताक जरगर और मसूद अजहर. आगे इन सभी के बारे में डिटेल में जानते हैं-

अहमद उमर सईद शेख
यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रहा. रिहा होने के बाद उमर शेख ने ही 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या की थी. उमर शेख ने डेनियल पर्ल की हत्या गला रेतकर की थी. सिर्फ यही नहीं उमर शेख ने इस घटना का वीडियो जारी कर दुनिया भर में सनसनी फैलाई थी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सईद शेख भी पाकिस्तान में ही है.

मुश्ताक अहमद जरगर
मुश्ताक जरगर कश्मीरी कमांडर है. इसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में अपना संगठन अल-उमर मुजाहिदीन फिर से खड़ा किया. मुश्ताक के जैश-ए-मोहम्मद से संपर्क बताए जाते हैं. मुश्ताक जरगर 2019 में कश्मीर के अनंतनाग में हुए आतंकवादी हमले का संदिग्ध है. पुलवामा की तरह इस हमले में भी सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे. माना जाता है कि 2017 में कश्मीर में हुए ग्रेनेड अटैक की साजिश भी मुश्ताक जरगर ने ही रची थी. माना जाता है कि मुश्ताक अब भी कश्मीर में सक्रिय है.

मसूद अजहर
पाकिस्तान जाकर इसने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) नामक आतंकी संगठन बनाया. इसने 2001 में भारतीय संसद पर हमले, 2008 में मुंबई में आतंकी हमले, 2016 में पठानकोट हमले और 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले जैसी बड़ी घटनाओं की साजिश रची. अजहर मसूद ने जैश-ए-मोहम्मद के जरिये भारत को कई जख्म दिए. मसूद अजहर अब भी पाकिस्तान में सक्रिय है.वह भारत में मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल है.

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