रायपुर। केंद्र की पेट्रोलियम मंत्रालय से जुड़ी एक कमिटी ने एफसीआई को चावल से एथेनॉल बनाकर उसका सैनिटाइजर बनाने की अनुमति दे दी है. इस फैसले को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गरीब विरोधी करार दिया और गरीबों को इसके खिलाफ उठ खड़े होने की अपील तक कर डाली. लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के दो मंत्री केंद्र के इस फैसले को अपनी कामयाबी के रूप में दर्ज कराते नज़र आये.

राहुल गांधी ने सुबह ही अपने सोशल मीडिया अकाउंट से केंद्र सरकार के इस निर्णय पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे गरीब विरोधी बताया. उन्होंने इसे गरीबों का हक़ मारने वाला बताया.
राहुल गांधी ने अपने फेसबुक और ट्विटर पर लिखा – “हिंदुस्तान का गरीब कब जागेगा. आप भूखे मर रहे हैं और वह आपके हिस्से के चावल से सैनिटाइजर बनाकर अमीरों के हाथ की सफाई में लगे हैं.”

लेकिन शाम होते-होते छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ मंत्री रविन्द्र चौबे ने इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए इसे राज्य सरकार की कामयाबी के रूप में दर्ज कराने की कोशिश की.
रविन्द्र चौबे शाम को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में प्रदेश की मीडिया के साथ मुखातिब थे. चौबे के साथ सरकार के दूसरे मंत्री अमरजीत भगत भी थे. चौबे ने बताया कि राज्य की मांग एक तरह से आंशिक रूप से पूरी हो गई है. राज्य एथेनॉल से बायो फ्यूल बनाने की मांग लंबे समय से कर रही है। अब केंद्र ने एफसीआई को इसकी अनुमति देकर राज्य के लिए रास्ता खोल दिया है.

दूसरे मंत्री अमरजीत ने बताया कि राज्य सरकार लंबे समय से मांग कर थी कि केंद्र सरकार चावल से एथेनॉल युक्त बायो फ्यूल बनाने की मंजूरी दे. अब एफसीआई को इसकी इजाजत मिलने के बाद वे छत्तीसगढ़ को भी इसकी इजाज़त देने की मांग करेगे.

दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार लंबे समय से राज्य में वो धान जिसे केंद्र नहीं खरीद रही है, उसका एथेनॉल बनकर बायो फ्यूल में इस्तेमाल की मांग कर रहे हैं. जिससे अतरिक्त धान में लगने वाले खर्च को वहन किया जा सके.

लेकिन कोरोना के प्रकोप में हालात जुदा हैं. अभी लॉक डाउन की वजह से राज्य सरकारों को अपने नागरिकों को अतिरिक्त अनाज देना पड़ रहा है. चिंता इस बात की है कि कई राज्यों में अनाज नहीं पंहुच पा रहा है और वे राज्य केंद्र से अतिरिक्त अनाज की मांग कर रहे हैं. जिसे देखते हुए खुद छत्तीसगढ़ ने और चावल केंद्र को देने का प्रस्ताव दिया था. इसी बीच केंद्र ने चावल से एथेनॉल बनाने की अनुमति दे दी. सरकार का ये फैसला सवालों के घेरे में हैं और सबसे बड़ा सवाल राहुल गांधी ने ही खड़ा किया था. अब उन्ही के पार्टी के मंत्रियों ने कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के रुख़ पर सवाल खड़े कर दिए हैं.