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लेखक -वैभव बेमेतरिहा

रायपुरः  करू हे रे…अब्बड़ करू हे…..ये पंक्तियां रमन सरकार के उस विज्ञापन की है जिसमें वो शराब नहीं पीने की अपील जनता से करती है। यहीं नहीं शराब के बोतल पर क्रास निशान लगाते हुए नशा मना है का संदेश भी देती है। करू हे रे…का सरकारी विज्ञापन पूरी तरह से झूठा था और सरकारी शराब दुकान पूरी तरह से सच है यह जनता जान भी ले और मान भी ले। क्योंकि इसका प्रमाण 1 अप्रेल से प्रदेश भर में खुलने वाले सरकारी शराब दुकान से मिल ही गया है।

सच में सरकार भी क्या-क्या नहीं चोचला करती है, एकदम ढकोसला करती है। जनता के जैसे माथे पर….लिखा ही रहता है। हद है ना एक सरकार ही होशियार बाकी सब गंवार। देखिए तो सही कितना नेक काम की है सरकार ने। प्रदेश भर में भारतमाता वाहिनी का गठन कर दिया। गाँव-गाँव में महिलाओं का समूह तैयार कर दिया। महिला समिति को शराब के खिलाफ लड़ने का अधिकार दे दिया। शराब ..खराब का नारा देकर शराब छोड़ने की मुहिम चला दी। लेकिन क्या था ये सब….ढकोसला…टोटली ढकोसला। एकदम सरकारी चोचला। दांत निपोर चोचला। निमगा चुना सही चक झूठ।

क्योंकि अगर ये मुहिम सही रहता तो फिर सरकारी शराब दुकान का सवाल ही नहीं था। अब सोचने और समझने वाली कोई बात ही नहीं। सीधा जवाब है या तो शराब पिलाइये या फिर छुड़वाइये। एक ही समय पर सरकार दो विपरीत काम कैसे कर सकती है ? यहां तो रमन सरकार जैसे एकमद….दू……समझ ले हे ना। बोलना नहीं चाहिए लेकिन जो हो रहा …या कहिए कि जबरन जिसे किया जा रहा है वहां तो यहीं कहना और लिखना पड़ेगा।

गाँव-गाँव…शहर-शहर…जिले से लेकर पूरा प्रदेश हर कहीं से एक ही आवाज गूँज रही है….पूर्ण शराबंदी। लेकिन जनता की आवाज को दबाकर सरकार ने अपनी आवाज फूल साउंड में माइक-स्पीकर के साथ लगा दी है…बोले पूर्ण शराबबंदी नहीं…..सरकार पूर्ण शराब देगी…मतबल पीने वाले कृपिया ध्यान दे कोई कमी किसी के लिए नहीं रहेगी….जियो की तरह 24 घंटे, 1 साल के लिए अनलिमिटेड।  भरपुर पीजिए…जी भर के पीजिए…छक कर पीजिए…बोलिए चाउंर वाले बाबा की….।

वाकई गजब हो गया ना….सौम्य चेहरे, मधूर वाणी वाले से ऐसा शराबीपन वाले फैसले की उम्मींद किसने की रही होगी। डॉक्टर से दवा की उम्मींद थी, लेकिन साहब ने तो दारू थमा दी। ….काश ! जो कुछ भी मैंने लिखा वो सब झूठ होता…..काश ! सरकारी शराब दुकान खोलने का फैसला अप्रेल फूल होता।