दिल्ली. कश्मीर में अलगाववादियों और जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरु करने और अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की रवानगी के साथ दिल्ली में बड़ी तैयारी के संकेत मिल रहे हैं।
आने वाले सोमवार को रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण सेना के तीनों प्रमुखों के साथ दो दिन की बैठक करेंगी। इस बैठक में विभिन्न देशों में तैनात 44 डिफेंस अटैची भी शिरकत करेंगे। इस बैठक के बाद रक्षा मंत्री और तीनों प्रमुख अपनी तैयारियों की जानकारी प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और वित्त मंत्री की उच्चस्तरीय बैठक में साझा करेंगे।
उच्चपदस्थ सरकारी सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय के पाकिस्तान के खिलाफ तैयार किए जा रहे डोजियर के साथ यह डिफेंस अटैची दुनिया के प्रमुख देशों के साथ पाकिस्तान के खिलाफ लामबंदी की योजना पर अमल करेंगे। पुलवामा हमले के बाद विश्व बिरादरी में पाकिस्तान को अलग थलग कर उसपर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनाने की दिशा में यह अहम कदम माना जा रहा है।
गौरतलब है कि भारत दुनिया के 44 अहम देशों में अपना डिफेंस अटैची रखता है। यह अटैची उस देश के साथ रक्षा संबंध बनाए रखने का काफी अहम और संवेदनशील काम को अंजाम देते हैं। ब्रिगेडिर और कर्नल रैंक के यह अटैची थल, जल और वायुसेना से चुने जाते हैं।
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक रणनीति के साथ सामरिक रणनीति पर भी अहम फैसले लिए जाएंगे। इसके बाद इसकी जानकारी पीएम मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री अरुण जेटली की बैठक में दी जाएगी। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बनाने के लिए घाटी में उसके सारे तंत्र का खात्मा किया जा रहा है। अलगाववादियों और जमात के लोगों के खिलाफ सख्ती उसी का नतीजा है।
सूत्रों के मुताबिक कश्मीर के मौजूदा हालात के अलावा आने वाले आम चुनाव के मद्देजनर भी सैन्य बलों की अतिरिक्त तैनाती की जा रही है। केंद्र ने कश्मीर के हालात के मद्देनजर चुनाव आयोग से राज्य के विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग- अलग करवाने का अनुरोध किया है। आयोग जल्द ही इस पर फैसला लेगा।
इन 100 कंपनियों को हवाई रास्ते से कश्मीर ले जाया जा रहा है। इसके लिए एयर कुरियर सेवा और वायु सेना के ट्रांसपोर्ट जहाजों की इस्तेमाल किया जा रहा है। सैन्य बल की एक कंपनी में 80 से 150 अधिकारी और जवान होते हैं। लिहाजा कश्मीर जाने वाले बल की संख्या औसतन करीब 10,000 है। इतनी बड़े बल को सरकार सड़क मार्ग से ले जाने का जोखिम नहीं उठा रही। इस कंपनियों में 45 सीआरपीएफ, 35 बीएसएफ, 10 एसएसबी और 10 आईटीबीपी की हैं।