Delhi Air Pollution: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण अब सिर्फ लोगों को बीमार नहीं कर है, बल्कि ये लोगों की जान ले रही है। इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के मुताबिक दिल्ली में सालभर में वायु पॉल्यूशन से 17,000 मौतें हुई है। यह दिल्ली में हुई कुल मौतों का 15% है। इस बीच दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने दिल्ली वासियों को लेकर एक और अपील की है। गुलेरिया ने दिल्ली प्रदूषण को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति बताते हुए कहा कि अगर आपके फेफड़े कमजोर हैं तो तुरंत दिल्ली छोड़ दें। प्रदूषण दिल्ली वासियों के खून में पहुंच चुका है। डॉ. गुलेरिया ने साफ कहा कि दिल्ली का वायु प्रदूषण लोगों को खामोश मौत दे रहा है और यह खतरा COVID से भी अधिक घातक साबित हो रहा है।
प्रमुख फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. रणदीप गुलेरिया ने चेतावनी दी है कि राजधानी में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी जैसी स्थिति है। जो लोगों के फेफड़ों, दिल और दिमाग को लगातार नुकसान पहुंचा रही है। लिहाजा अगर आपके फेफड़े कमजोर हैं तो तुरंत Delhi छोड़ दें। जो नहीं जा सकते उन्हें मास्क, एयर फिल्टर और डॉक्टर की सलाह जैसे सुरक्षात्मक कदम जरूर अपनाएं।

तेजी से बढ़ रहे सांस के मरीज
डॉ. गुलेरिया के मुताबिक, दिल्ली के अस्पतालों में सांस की तकलीफ, तेज खांसी और अस्थमा व COPD जैसे पुराने फेफड़ों के रोगों के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा, ‘हर बार एयर क्वालिटी बिगड़ने पर सांस से जुड़े मामलों में 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। आमतौर पर ये केस प्रदूषण बढ़ने के 4 से 6 दिन बाद सामने आते हैं। उन्होंने कहा, ‘सबसे चिंता की बात यह है कि अब युवा और स्वस्थ लोग भी लगातार खांसी, सीने में जकड़न और सांस फूलने जैसी समस्या झेल रहे हैं, जिसका कारण सिर्फ दिल्ली की जहरीली हवा है।

आपके खून तक पहुंच रहा प्रदूषण
डॉ. गुलेरिया का कहना है कि प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को नहीं, बल्कि खून तक पहुंचकर शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचाता है। PM2.5 जैसे कण खून में जाकर सूजन बढ़ाते हैं, ब्लड प्रेशर और शुगर बढ़ाते हैं और कोलेस्ट्रॉल को प्रभावित करते हैं। एयर पॉल्यूशन एक साइलेंट किलर है, जिसने 2021 में दुनियाभर में 80 लाख से ज्यादा लोगों की जान ली, COVID से भी ज्यादा। उन्होंने कहा कि दुख की बात यह है कि किसी भी डेथ सर्टिफिकेट में ‘एयर पॉल्यूशन’ नहीं लिखा जाता, लेकिन यही मौजूदा बीमारियों को इतना बढ़ा देता है कि वे जानलेवा बन जाती हैं।
सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को
डॉक्टर ने कहा कि सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है। बच्चे तेज सांस लेते हैं, बाहर खेलते हैं और ग्राउंड-लेवल पॉल्यूशन के सबसे ज्यादा संपर्क में रहते हैं। रिसर्च बताती है कि उनका फेफड़े का विकास रुक जाता है। दिल्ली में बड़े हो रहे बच्चों की फेफड़ों की क्षमता साफ शहरों के बच्चों से कम रहती है। ये नुकसान स्थायी भी हो सकता है।
सालभर में पॉल्यूशन से 17,000 मौतें
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के मुताबिक दिल्ली में सालभर में पॉल्यूशन से 17,000 मौतें हुई है। आईएचएमई रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में राजधानी में 17,188 लोगों की मौतें सीधे तौर पर वायु प्रदूषण से हुई। इसका मतलब है कि हर सात में से एक मौत का कारण प्रदूषण रहा। रिपोर्ट के अनुसार, पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) यानी हवा में मौजूद बारीक प्रदूषक कण अब भी दिल्ली में मौतों का सबसे बड़ा कारण हैं। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के विश्लेषण के मुताबिक, 2023 में दिल्ली में हुई कुल मौतों में से लगभग 15% मौतें सिर्फ प्रदूषण के कारण हुईं है।
यह भी पढ़ेंः- ‘एक मूर्ख की वजह से देश इतना नुकसान नहीं झेल सकता…,’ किरेन रिजिजू का राहुल गांधी पर करारा वार, बोले- अब हर बिल पास कराएगी सरकार
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक

