आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है, जिसमें व्यापक बदलाव देखा गया है, जिसमें बाहरी उम्मीदवारों को तरजीह दी गई है और कई वर्तमान विधायकों का टिकट काट दिया गया है. सबसे महत्वपूर्ण बदलाव में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया की सीट बदली गई है. अब तक पटपड़गंज सीट से चुनाव लड़ते रहे मनीष सिसोदिया को इस बार जंगपुरा सीट से चुनाव लड़ाया जा रहा है, जहां उनकी जगह हाल ही में प्रसिद्ध शिक्षक अवध ओझा को टिकट दिया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि पार्टी को आखिर क्यों जंगपुरा की सीट बदलनी पड़ी?
भले ही दिल्लीवालों के लिए सिसोदिया की सीट बदलने की खबर चौंकाने वाली हो, लेकिन दिल्ली की राजनीति पर करीब से निगाह रखने वाले कुछ विश्लेषकों ने पहले से ही इसकी संभावना बताई थी.
क्या है सिसोदिया के पटपड़गंज छोड़ने की सबसे बड़ी वजह
इसकी सबसे बड़ी वजह पांच साल पहले के चुनाव परिणामों में छिपी है. 2020 में, पार्टी को 62 सीटों पर जीत मिली, लेकिन मनीष सिसोदिया को अपनी सीट निकालने में काफी मुश्किल हुई थी. पटपड़गंज में मनीष सिसोदिया ने सिर्फ 3 हजार से कुछ अधिक वोटों से जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा के रविंद्र सिंह नेगी ने उनसे कड़ी टक्कर दी थी. सूत्रों ने बताया कि पार्टी इस बार आंतरिक सर्वे के आधार पर टिकट जारी कर रही है, जिसमें पटपड़गंज से अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
दूसरी वजह यह है कि मनीष सिसोदिया को कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार करने के बाद लंबे समय तक तिहाड़ जेल में रहना पड़ा, जिससे पटपड़गंज में कामकाज प्रभावित हुआ और भाजपा ने सिसोदिया की गौरमौजूदगी में यहां अपनी पकड़ मजबूत करने का भरसक प्रयास किया है. पार्टी के कुछ रणनीतिकारों ने सोचा कि सिसोदिया के लिए यह सीट सुरक्षित नहीं थी क्योंकि इस बार पार्टी को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना है और पार्टी सुप्रीमो ने अरविंद केजरीवाल और सिसोदिया की जीत को ‘ईमानदारी के सर्टिफिकेट’ से जोड़ा है.
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पटपड़गंज से अवध ओझा क्यों?
पटपड़गंज सीट पर उत्तारखंड और पूर्वांचल से आने वाले वोटर्स की बड़ी आबादी होने के कारण पार्टी को एक पूर्वांचली उम्मीदवार की जरूरत थी. हाल ही में राजनीति में आए अवध ओझा, उत्तर प्रदेश के गोंडा से आते हैं और उनकी पूर्वांचली पहचान है.
AAP जंगपुरा को सेफ मानती है
इस बार मनीष सिसोदिया को पटपड़गंज की बजाय जंगपुरा सीट से उतारने का निर्णय लिया गया है, जिसे पार्टी अपने लिए सुरक्षित मानती है, क्योंकि ‘AAP’ के प्रवीण कुमार ने 2020 और 2015 में बड़े अंतर से जीत हासिल की थी, 2015 में 16 हजार वोटों से और 2020 में 23 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी.
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