दिल्ली ब्लास्ट(Delhi Blast) के आतंकी मॉड्यूल के सेंटर पाइंट बनी फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी(Al-Falah University) इन दिनों गंभीर फैकल्टी संकट से जूझ रही है। स्टाफ की भारी कमी के कारण MBBS फर्स्ट ईयर के छात्रों को एक सप्ताह की लीव पर घर भेज दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, विश्वविद्यालय की फैकल्टी से जुड़े दो आरोपियोंलेडी आतंकी डॉ. शाहीन सईद और डॉ. मुजम्मिल शकील की गिरफ्तारी के बाद लगातार स्टाफ इस्तीफा दे रहा है। इससे मेडिकल विभाग में शिक्षण गतिविधियां बाधित हो रही हैं, जो छात्रों के लिए नई परेशानी बन गई है।
दिल्ली ब्लास्ट मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद से जांच एजेंसियों की सख्त निगरानी यूनिवर्सिटी पर बनी हुई है। लगातार पूछताछ, तलाशी और स्टाफ मूवमेंट पर निगरानी के चलते कैंपस का वातावरण तनावपूर्ण बना हुआ है, जिसका असर शिक्षण व्यवस्था पर भी पड़ रहा है।
यूनिवर्सिटी सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली ब्लास्ट मामले के उजागर होने के बाद से अल-फलाह यूनिवर्सिटी अब तक सामान्य स्थिति में नहीं लौट पाई है। अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जावेद सिद्दीकी और डॉक्टरों की गिरफ्तारी ने कैंपस में फैकल्टी के बीच भय का माहौल बना दिया है। बताया जा रहा है कि छापेमारी और पूछताछ के बाद की परिस्थितियों ने प्रोफेसरों को असुरक्षित महसूस कराया, जिसके चलते करीब 10 मेडिकल प्रोफेसर अपनी नौकरी छोड़कर जा चुके हैं। मेडिकल फैकल्टी के अलावा अन्य विभागों में काम करने वाला स्टाफ भी धीरे-धीरे यूनिवर्सिटी छोड़ रहा है। फैकल्टी की इस कमी का सीधा असर छात्रों पर पड़ रहा है। स्टाफ की भारी कमी के कारण MBBS छात्रों की नियमित कक्षाएं नहीं लग पा रही हैं, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में फैकल्टी की कमी बढ़ने के बाद हालात इतने बिगड़ गए हैं कि MBBS फर्स्ट ईयर के छात्रों को अचानक एक सप्ताह की छुट्टी देकर घर भेजा जा रहा है। हालांकि प्रशासन ने छात्रों को साफ कहा है कि एक सप्ताह बाद उन्हें दोबारा यूनिवर्सिटी जॉइन करना होगा। यूनिवर्सिटी सूत्रों का कहना है कि फैकल्टी पलायन और चल रही जांच के कारण कक्षाएं नियमित रूप से संचालित करना मुश्किल हो गया है। इसी वजह से विश्वविद्यालय ने अस्थायी रूप से छुट्टी देने का निर्णय लिया। सूत्रों के मुताबिक, पैनिक से बचने के लिए प्रशासन ने छात्रों से बाहर जाकर इसे ‘सर्दी की छुट्टी’ बताने को कहा है, ताकि यूनिवर्सिटी की मौजूदा स्थिति को लेकर अनावश्यक चर्चा न हो।
दिल्ली ब्लास्ट के बाद से अल-फलाह यूनिवर्सिटी में अफरा-तफरी और अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। जांच एजेंसियां लगातार यूनिवर्सिटी पहुंचकर पूछताछ कर रही हैं, जिससे कैंपस में तनाव और बढ़ गया है। जांच के दौरान, गिरफ्तार लेडी आतंकी डॉ. शाहीन सईद और डॉ. मुजम्मिल शकील को भी यूनिवर्सिटी में लाकर निशानदेही कराई गई। इनके संपर्क में आने वाले यूनिवर्सिटी के सभी डॉक्टरों और अन्य स्टाफ सदस्यों से पूछताछ हो चुकी है। लगातार जारी कार्रवाई और जांच एजेंसियों की मौजूदगी के कारण कैंपस का माहौल सामान्य नहीं हो पा रहा है।
यूनिवर्सिटी सूत्रों के अनुसार, दिल्ली ब्लास्ट के बाद बढ़ती जांच और माहौल में असुरक्षा की भावना के चलते करीब 10 मेडिकल प्रोफेसर अब तक अपना इस्तीफ़ा दे चुके हैं। अधिकांश प्रोफेसर केवल इसलिए यूनिवर्सिटी छोड़कर गए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई या जांच की आंच उन तक न पहुंचे। बताया जा रहा है कि कई स्टाफ सदस्य, जो पहले अपने परिवार सहित कैंपस या आसपास रहते थे, उन्होंने सबसे पहले अपने परिवार को सुरक्षित स्थान पर भेजा। इसके बाद वे स्वयं भी या तो छुट्टी पर गए और फिर वापस आने के बजाय ईमेल के माध्यम से इस्तीफ़ा भेज दिया, या सीधे नौकरी छोड़कर अन्य संस्थानों में चले गए।
यूनिवर्सिटी के अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में लगभग 200 नर्सिंग एवं मेडिकल स्टाफ कार्यरत हैं। इनमें करीब 80 प्रतिशत मुस्लिम और 20 प्रतिशत हिंदू कर्मचारी शामिल हैं। स्टाफ संरचना में लगभग 35 प्रतिशत डॉक्टर और पैरामेडिकल कर्मचारी कश्मीर मूल के बताए जाते हैं। दिल्ली ब्लास्ट मामले के बाद बढ़ी जांच और असुरक्षा की भावना के चलते कश्मीरी मूल के डॉक्टर और स्टाफ तेजी से नौकरी छोड़ रहे हैं। लगातार हो रहे इस्तीफ़ों की वजह से अस्पताल में कर्मचारियों की भारी कमी हो गई है, जिससे मरीजों की सेवाओं और MBBS छात्रों की ट्रेनिंग प्रभावित हो रही है।
MBBS फाइनल ईयर के एक छात्र ने बताया कि यूनिवर्सिटी में फैकल्टी की कमी का सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। उनके बैच में कई लेक्चर लगातार कैंसिल हो रहे हैं। छात्र ने यह भी कहा कि फर्स्ट ईयर के छात्रों को अचानक एक सप्ताह की लीव पर भेजा जाना अभूतपूर्व है, क्योंकि उनके समय में ऐसी कोई छुट्टी नहीं दी गई थी। छात्र के अनुसार, प्रशासन मौजूदा हालात को “सैटल” करने के लिए इस तरह के निर्णय ले रहा है, जिससे पढ़ाई का शेड्यूल गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।
यूनिवर्सिटी द्वारा छात्रों को अचानक लीव पर भेजे जाने से अभिभावक भी परेशान हैं। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छुट्टी का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया, जिससे अनिश्चितता और बढ़ गई है। अभिभावकों के अनुसार, यूनिवर्सिटी का नाम आतंकी मॉड्यूल से जुड़ने के बाद से ही लोग उनके बच्चों को शक की नजर से देखने लगे हैं। इससे छात्रों का मनोबल प्रभावित हो रहा है और वे मानसिक दबाव में आ गए हैं। पेरेंट्स का कहना है कि बच्चे न तो ठीक से पढ़ाई कर पा रहे हैं और न ही रातों को चैन से सो पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि यूनिवर्सिटी से जुड़े विवाद का असर उनके भविष्य और करियर पर पड़ सकता है।
जांच एजेंसी सूत्रों के मुताबिक, डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल की गिरफ्तारी के बाद अब एनआईए जल्द ही डॉ. आदिल को भी यूनिवर्सिटी लेकर आने वाली है। अब तक की जांच में कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं। सूत्रों का कहना है कि डॉ. आदिल और डॉ. उमर नबी के बीच कई वर्षों से घनिष्ठ परिचय था। आदिल अक्सर उमर से मिलने अल-फलाह यूनिवर्सिटी आता था और यहां यूनिवर्सिटी हॉस्टल में उमर के फ्लैट में ही ठहरता था। इसी दौरान उसकी मुलाकात आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील और शाहीन सईद से हुई थी। जांच एजेंसी यह जांच कर रही है कि इन मुलाकातों के दौरान आदिल की क्या भूमिका रही और क्या वह किसी गतिविधि से अवगत था।
जांच में यह भी सामने आया है कि डॉ. आदिल और दिल्ली ब्लास्ट में मारा गया आतंकी डॉ. उमर नबी पुराने दोस्त थे। दोनों जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के एक सरकारी अस्पताल में साथ नौकरी करते थे। बाद में करियर मार्ग बदलते हुए, आदिल ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में नौकरी जॉइन की, जबकि उमर नबी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर फरीदाबाद आ गया। हालांकि दोनों अलग-अलग शहरों में तैनात रहे, लेकिन उनका संपर्क लगातार बना रहा, जिसकी अब जांच एजेंसी विस्तृत पड़ताल कर रही है।
जांच में जुटी एजेंसियों के अनुसार डॉ. आदिल कश्मीर के कुलगाम जिले के वानपुरा गांव का निवासी है, और उसके परिवार में कई सदस्य चिकित्सा पेशे से जुड़े हैं। आदिल की पत्नी और उसका भाई दोनों डॉक्टर हैं। आदिल ने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से MBBS किया, जिसके बाद उसने अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) में रेज़िडेंट डॉक्टर के तौर पर काम किया। वर्ष 2024 में उसने GMC से इस्तीफा दे दिया और सहारनपुर शिफ्ट हो गया, जहां वह कई निजी अस्पतालों में काम कर रहा था।
फेमस मेडिकेयर अस्पताल में लाखों के पैकेज पर जॉइन करने के बाद डॉ. आदिल ने हाल ही में 4 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में शादी की। पुलिस जांच के अनुसार, डॉ. आदिल का भाई भी डॉक्टर है, जबकि उनकी पत्नी रुकैया पेशे से मनोचिकित्सक (Psychiatrist) हैं।
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