नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नए बंगले को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सीएम के आधिकारिक आवास के रिनोवेशन के मामले पर बुरे फंसते दिख रहे हैं. इस मामले पर अब एनजीटी ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. एनजीटी ने पर्यावरण नियमों को लेकर सरकार को नोटिस जारी किया है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली सीएम आवास रेनोवेशन मामले में एक याचिका के जरिए किए गए दावे पर समिति का गठन किया है. केजरीवाल के बंगले को लेकर पेड़ काटने के मामले में दिल्ली की केजरीवाल सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है. सीएम आवास में पर्यावरण मानकों के उल्लंघन पर खासी नाराजगी जताई है. पर्यावरण कानून के उल्लंघन पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. एनजीटी ने दिल्ली सरकार से 3 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 31 मई को होगी.
इस मामले में अधिवक्ता गौरव बंसल ने अपनी दलील में कहा कि दिल्ली सरकार के वन विभाग द्वारा जारी 2009 के आदेश के अनुसार, 10 से 20 से अधिक पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति मांगने वाले सभी आवेदनों पर कार्रवाई की जानी चाहिए थी और फारेस्ट कंजर्वेटर को रिपोर्ट देनी चाहिए थी. हालांकि, वर्तमान मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने जानबूझकर और गलत इरादे से सरकारी आदेश का उल्लंघन किया और पेड़ों को काट दिया.
280 की जगह लगाए सिर्फ 83 पेड़
याचिका में यह भी कहा गया है कि पेड़ों को काटने की अनुमति देने की शर्त के लिए 280 पौधे लगाने की जरूरत थी, लेकिन केवल 83 पौधे ही लगाए गए. इसमें कहा गया है कि इस तरह की कटाई अवैध है. इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति की जवाबदेही कानून के अनुसार तय की जानी चाहिए. दिल्ली वन विभाग द्वारा अनिवार्य वृक्षारोपण की शर्त लगाने का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी के वन क्षेत्र की रक्षा करना था, लेकिन वन विभाग द्वारा जारी आदेश को दरकिनार कर PWD ने अनिवार्य वृक्षारोपण नहीं किया.