नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना को फरवरी-2025 तक साफ करने के लिए 6 स्तरीय एक्शन प्लान बनाया है और इस पर सरकार ने युद्धस्तर पर काम भी शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी विस्तृत रूपरेखा रखते हुए कहा कि दिल्ली सरकार कई नए ट्रीटमेंट प्लांट बना रही है. मौजूदा ट्रीटमेंट प्लांट्स की क्षमता बढ़ा रही है और उसकी पुरानी टेक्नोलॉजी को बदल रही है, ताकि सीवर का पानी साफ निकले. हम नई तकनीक का इस्तेमाल कर नजफगढ़, बारापुला, सप्लीमेंट्री और गाजीपुर ड्रेन का इन-सीटू सफाई कर रहे हैं. इससे हम औद्योगिक कचरे पर भी नकेल कस सकेंगे. इसके लिए जो भी इंडस्ट्री अपने कचरे को ट्रीटमेंट के लिए नहीं भेजेंगी, उन्हें बंद किया जाएगा और झुग्गी-झोपड़ी क्लस्टर्स में जन सुविधा कॉम्प्लेक्स समेत सारी गंदगी को अब सीवर में डाला जाएगा. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब सीवर कनेक्शन के लिए किसी को आवेदन नहीं करना होगा. दिल्ली सरकार 100 फीसदी घरों से सीवर तक का कनेक्शन खुद लगाएगी. मैं एक-एक काम पर कड़ी नजर रखूंगा और हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही दिल्ली वालों का सपना पूरा होगा और फरवरी 2025 तक हम यमुना को जरूर साफ कर लेंगे. सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि मैं जो कहता हूं, वो करता हूं और ज़ुबान का पक्का हूं. अगले चुनाव के पहले हम यमुना ज़रूर साफ करेंगे.
70 साल के खराब काम के कारण यमुना इतनी गंदी, दो दिनों में तो सबकुछ ठीक नहीं हो सकता- केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यमुना नदी को साफ करने को लेकर तैयार किए गए खाके को दिल्ली वासियों के सामने रखा. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यमुना नदी सभी दिल्लीवालों को बहुत प्यारी है और वो हमारी लाइफ लाइन है, लेकिन ये बहुत गंदी हो रही है. दिल्ली के सारे नाले यमुना नदी के ही अंदर गिरते हैं. यमुना का पानी बहुत गंदा है. सभी दिल्ली और देशवासी चाहते हैं कि दिल्ली से गुजरते वक्त यमुना साफ रहनी चाहिए. यमुना को इतना गंदा होने में 70 साल लगे. यह 70 साल का खराब किया हुआ सारा काम है, वह दो दिन में तो ठीक नहीं हो सकता है.
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मौजूदा ट्रीटमेंट प्लांट्स में ट्रीटमेंट के बाद भी सीवर का पानी गंदा रहता है, इसलिए टेक्नोलॉजी बदल रहे हैं- केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यमुना को साफ करने के लिए हम लोगों ने पूरे जोर-शोर के साथ युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है. यमुना को साफ करने के लिए विशेष तौर पर 6 एक्शन प्लान बनाए गए हैं और मैं इन बिंदुओं की लगातार निगरानी कर रहा हूं.
6 बिंदुओं पर यमुना नदी की सफाई का प्लान
1. हमारी दिल्ली में जो सीवर हैं, इनमें से काफी सीवर अनट्रीटेड हैं. यह सीवर बिना साफ किए यमुना में गिरा दिए गए हैं. इससे यमुना गंदी होती है. दिल्ली में 600 एमजीडी सीवर को साफ करने की क्षमता है, जबकि हमें 800 से 850 एमजीडी के करीब क्षमता चाहिए. हम सीवर ट्रीटमेंट के ऊपर युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं. इसमें 3 चीजें कर रहे हैं. पहला- नए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बना रहे हैं. जैसे- कोरेनेशन ट्रीटमेंट प्लांट, ओखला ट्रीटमेंट प्लांट, कोंडली ट्रीटमेंट प्लांट और रिठाला ट्रीटमेंट प्लांट नए बन रहे हैं. हम नए खूब सारे ट्रीटमेंट प्लांट बना रहे हैं. दूसरा, जो मौजूदा ट्रीटमेंट प्लांट्स हैं, उनकी क्षमता को बढ़ा रहे हैं और तीसरा, मौजूदा ट्रीटमेंट प्लांट्स में अधिकतर प्लांट्स पुरानी तकनीक पर चल रहे हैं, जिसकी वजह से इन प्लांट्स में सीवर ट्रीटमेंट होने के बाद भी पानी गंदा रहता है. फिर क्या फायदा हुआ, इसलिए पुराने ट्रीटमेंट प्लांट्स की टेक्नोलॉजी बदल रहे हैं. हम इसे इस तरह से बना रहे हैं कि अब जो सीवर शोधित (ट्रीट) होकर निकले, वह साफ होना चाहिए. 10/10 एक टेक्निकल शब्द है और 10/10 की सफाई अच्छी मानी जाती है. सीवर का पानी साफ होकर निकले, तो वह कम से कम 10/10 गुणवत्ता का पानी होना चाहिए. हम यह तीन चीजें सीवर ट्रीटमेंट में कर रहे हैं.
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कुछ नालों को डायवर्ट कर पानी को एसटीपी में भेज रहे हैं और कुछ नालों की वहीं पर सफाई कर रहे हैं- केजरीवाल
2. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दूसरे एक्शन बिंदु के बारे बताया कि बहुत सारे गंदे नाले हैं, जो अपनी दिल्ली को गंदा करते हैं. हम एक नई तकनीक का प्रयोग कर के चार प्रमुख गंदे नालों का वहीं पर (इन-सीटू) सफाई कर रहे हैं. पानी को कहीं और नहीं लेकर जाना पड़ेगा. कुछ नालों को एसटीपी की तरफ डायवर्ट कर रहे हैं कि उनका सारा पानी एसटीपी में चला जाए और कुछ नालों को वहीं पर हम इन-सीटू सफाई कर रहे हैं. इसमें नजफगढ़ ड्रेन, बारापुला ड्रेन, सप्लीमेंट्री ड्रेन और गाजीपुर ड्रेन का इन-सीटू सफाई का पूरा काम शुरू हो गया है.
3. तीसरा- औद्योगिक कचरा. कानूनी रूप में कागजों में तो लिखा होता है कि इसकी सफाई हो रही है, लेकिन व्यावहारिक रूप में होती नहीं है. हम औद्योगिक कचरे पर भी नकेल सकेंगे. जितने भी अफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स हैं, जो काम सही से नहीं कर रहे हैं, उनको सही से काम करवाया जाएगा और जो भी इंडस्ट्री अपने कचरे को ट्रीटमेंट के लिए नहीं भेजेगी, उस इंडस्ट्री को बंद किया जाएगा.
कई इलाकों में सीवर कनेक्शन लगने के बावजूद कुछ लोग कनेक्शन नहीं लेते हैं, अब सरकार खुद देगी कनेक्शन- केजरीवाल
4. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चौथे एक्शन बिंदु के बारे में बताया कि दिल्ली में जितनी भी झुग्गी-झोपड़ी क्लस्टर्स हैं, इन क्लस्टर्स में जन सुविधा कॉम्प्लेक्स (टॉयलेट्स) हैं. कुछ जगह पर टॉयलेट्स की गंदगी तो सीवर में जाती है, लेकिन कई जगहों पर यह गंदगी बारिशों की पानी वाली नालियों में बहा दिया जाता है. जन सुविधा कॉम्प्लेक्स को बंद नहीं किया जाएगा, लेकिन उसके आउटपुट को बारिश के पानी वाली नालियों की बजाय उसे बगल से जा रहे सीवर से अटैच किया जाएगा. झुग्गी-झोपड़ी क्लस्टर्स की जितनी गंदगी है, वह सारी गंदगी अब सीवर में डाली जाएगी.
5. पांचवां- बहुत सारे ऐसे इलाके हैं, जहां पर सीवर का पूरा नेटवर्क बिछा दिया गया है, लेकिन कई लोगों ने सीवर के कनेक्शन नहीं लिए हैं और वो अपने घर की गंदगी को सीधे नाली में बहा देते हैं. अब तक यह होता था कि जिस इलाके में सीवर का नेटवर्क लग गया है, वहां पर सीवर का नेटवर्क सरकार लगाती थी और एक-एक घर को सरकार में सीवर कनेक्शन के लिए आवेदन करना पड़ता था. इसके बाद हम अनुमति देते थे और फिर सीवर की लाइन से अपने घर तक का कनेक्शन लेने की उसकी खुद की जिम्मेदारी होती थी, जो कि बहुत से लोग लेते नहीं थे. अब हमने तय किया है कि आपके घर से सीवर तक का कनेक्शन हम खुद ही लगा देंगे. इसका चार्ज भी हमने बहुत कम कर दिया है, जो भी नाममात्र का शुल्क होगा, उसे हम इंस्टॉलमेंट में पानी के बिल के साथ ले लेंगे।.
सीवर नेटवर्क की डी-सिल्टिंग का काम शुरू कर दिया गया है- अरविंद केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि पूरी ट्रांस यमुना एरिया (ईस्ट दिल्ली का इलाका) में पूरी तरह से सीवर नेटवर्क लग चुका है, लेकिन वहां से भी नालियों के अंदर बहुत ज्यादा गंदगी बह रही है, क्योंकि कई लोगों ने सीवर के कनेक्शन नहीं ले रखे हैं. वे लोग अपने घर की गंदगी नालियों में बहा देते हैं. अब दिल्ली सरकार उनके घर तक के सीवर कनेक्शन खुद लगाएगी. आगे से अब 100 फीसदी सीवर के कनेक्शन दिल्ली सरकार लगाया करेगी.
6. जितना भी हमारा मौजूदा सीवर नेटवर्क है, उस पूरे नेटवर्क में जिनती भी गंदगी है, उसकी डी-सिल्टिंग और पुनर्वास (रिहैबिलिटेशन) का काम शुरू कर दिया गया है, ताकि इसको मजबूत किया जा सके. यह छह बिंदुओं का एक्शन प्लान है, जिसके जरिए हमारे इंजीनियर्स और ऑफिसर्स को पूरी उम्मीद है कि हम फरवरी 2025 तक यमुना को जरूर साफ कर लेंगे.
छह स्तरीय एक्शन प्लान पर इस तरह होगा काम
1- चार नए एसटीपी बना रही केजरीवाल सरकार,पुराने की क्षमता में होगा विस्तार
केजरीवाल सरकार दिल्ली के अंदर सीवेज ट्रीटमेंट के लिए 279 एमजीडी क्षमता के चार नए ट्रीटमेंट प्लांट बना रही है. इसमें 40 एमजीडी की रिठाला एसटीपी, 70 एमजीडी की कोरोनेशन एसटीपी, 45 एमजीडी की कोडली एसटीपी और 124 एमजीडी की ओखला एसटीपी शामिल है. इसके अलावा दिल्ली में मौजूदा 19 एसटीपी को अपग्रेड किया जा रहा है. जिसके बाद सीवेज को ट्रीट करने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी.
एसटीपी का नाम मौजूदा डिजाइन पैरामीटर अपग्रेडेड डिजाइन (बीओडी: टीएसएस)
मेहरौली 20/30 10/10
ओखला फेस-5 30/50 10/10
ओखला फेस-6 20/30 10/10
कोंडली फेस-2 20/30 10/10
कोंडली फेस-4 20/30 10/10
यमुना विहार फेस-1 30/50 10/10
यमुना विहार फेस-2 30/50 10/10
यमुना विहार फेस-3 20/30 10/10
सी पीलर फेस-1, 2 30/50 10/10
सी पीलर फेस-3 30/50 10/10
नरेला 30/50 10/10
रिठाला फेस- 2 15/20 10/10
रोहिणी 30/50 10/10
केशोपुर फेस-1 20/30 10/10
केशोपुर फेस-2 30/50 10/10
केशोपुर फेस-3 30/50 10/10
निलोठी फेस-1 30/50 10/10
पपनकला फेस-1 30/50 10/10
नजफगढ़ 30/50 10/10
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2- चार ड्रेनों का इन-सीटू सफाई
यमुना में प्रदूषण बढ़ाने वाली चार प्रमुख ड्रेन हैं. यह चार ड्रेन नजफगढ़ ड्रेन, सप्लमेंट्री ड्रेन, बारापुला ड्रेन और शाहदरा ड्रेन हैं. इन चारों ड्रेन के अंदर दिल्ली सरकार सीवेज को इन सीटू ट्रीट कर रही है, अर्थात ड्रेन के अंदर ही चलने पानी को साफ किया जा रहा है. एसटीपी बाहर बनते हैं और दूर होते हैं, जिन्हें एक्स सीटू कहते हैं, जबकि ड्रेन के अंदर सीवेज की सफाई को इन सीटू कहते हैं.
3. औद्योगिक कचरे के खिलाफ कार्रवाई
दिल्ली के अंदर 33 इंडस्ट्रीयल क्लस्टर्स हैं. इन इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स के अंदर से काफी सारा औद्योगिक कचरा निकलता है. इसमें से 17 इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स ऐसे हैं, जिनका पानी 13 सीईटीपी में जाता है और बाकी सीईटीपी में नहीं जाता है. जिनका पानी सीईटीपी में नहीं जाता है, उनके पानी को अलग-अलग जगहों पर सीवर लाइन में टैप कर लिया जाएगा और उसे सीईटीपी में साफ होने के लिए भेजा जाएगा. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) दिल्ली जल बोर्ड के अधीन काम करता है और कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) डीएसआईडीसी के अधीन काम करता है.
4. जेजे क्लस्टर की नालियों को सीवर लाइन से जोड़ा जाएगा
दिल्ली में काफी सारे जेजे क्लस्टर्स हैं. इनके अंदर डूसिब ने टॉयलेट क्लस्टर्स बनाए हैं. उन टॉयलेट क्लस्टर्स को डूसिब की तरफ से रख-रखाव किया जाता है, लेकिन उसका वेस्ट वॉटर बारिश वाली नालियों से कनेक्ट होता है. अब दिल्ली सरकार ने निर्णय लिया है कि जेजे क्लस्टर्स से जो भी छोटी से छोटी नाली निकलती है, उसे पास की सीवर लाइन से जोड़ा जाएगा, ताकि वह सीवर लाइन के जरिए एसटीपी में जाकर पानी को साफ किया जा सके. दिल्ली के अंदर 1799 अनधिकृत कालोनी हैं, जिनको 2024 तक सीवर लाइन डालने का लक्ष्य रखा गया है.
5. केजरीवाल सरकार खुद 100 फीसदी घरों को सीवर से जोड़ेगी
दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के 100 फीसदी घरों तक सीवर का कनेक्शन खुद लगाएगी. यह सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है. सरकार योजना के तहत बहुत बड़े-बड़े सीवर नेटवर्क डालती है, लेकिन सीवर नेटवर्क से जब तक एक-एक घर कनेक्ट नहीं होंगे, तब तक उस सीवर नेटवर्क के मायने नहीं हैं. जैसा कि ईस्ट दिल्ली 100 फीसद सीवर नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, फिर भी वहां पर बहुत सारे छोटे-बड़े नाले निकलते हैं, जिनका पानी बारिश वाले नालों में जाता है. इसके बाद वह पानी बड़े नालों में होकर यमुना में गिरता है. इसके काफी सारे नुकसान भी हैं. केजरीवाल सरकार मुख्यमंत्री सीवर कनेक्शन योजना के अंतर्गत 100 फीसदी घरों को सीवर से जोड़ेगी.
6. सीवर लाइन की डी-सिल्टिंग
दिल्ली के अंदर 9225 किलोमीटर का सीवर नेटवर्क है. जब घर से गंदा पानी निकलता है, तो उसमें गाद होती है. जिसकी वजह से अगर पाइप लाइन बीच में कहीं पर भी चोक हो जाती है, तो पीछे से आ रहा पानी आगे नहीं जा पाता है और इस वजह से वह पानी ओवर फ्लो करके पास के बरसाती नाले के जरिए नदी में आता है. सीवर लाइन की डी-सिल्टिंग के लिए अगले छह महीने का लक्ष्य रखा गया है. अगले छह महीने में दिल्ली के पूरे सीवर नेटवर्क को डी-सिल्ट कर दिया जाएगा. जिस भी एरिया में सीवर लाइन 10 फीसद या 50 फीसदी जाम हो रहा है, तो वह डी-सिल्टिंग के बाद साफ हो जाएगा. जिसके बाद सीवर लाइन से होकर पानी आसानी से एसटीपी तक पहुंच जाएगा और उसे साफ किया जा सकेगा.
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