नई दिल्ली। दिल्ली सरकार जल्द ही शहर में सर्किल दरों में वृद्धि करने के निर्णय पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा सर्किल रेट में 30 प्रतिशत बढ़ोतरी की योजना से दिल्ली के ज्यादातर रिहायशी इलाकों में मकानों और अन्य संपत्तियों की खरीद-बिक्री की लागत प्रभावित होगी. कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री के दिल्लीवासियों के प्रति विरोधात्मक सर्कल रेट बढ़ाने के निर्णय का विरोध भी किया, वहीं दिल्ली कांग्रेस ने मांग करते हुए कहा कि केजरीवाल दिल्ली वालों के हितों और उनकी आर्थिक तंगी की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तुरंत प्रभाव से सर्कल रेट पर प्रस्तावित 30 की बढ़ोतरी पर रोक लगाने का निर्णय लें.
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अनिल कुमार ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार ने भाजपा की केन्द्र सरकार के अनुसरण पर जन विरोधी नीतियां लागू करके जहां दिल्ली का विकास रोक दिया है, वहीं कोविड महामारी के चलते बढ़ती बेरोजगारी, मंहगाई और आर्थिक मंदी के कारण पिछले 2 वर्षों से दिल्लीवासियों की अजीविका पूरी तरह प्रभावित हुई है. दरअसल सर्कल दरें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती हैं और समय-समय पर मांग, आपूर्ति और क्षेत्र से संबंधित अन्य विकास संकेतकों के आधार पर संशोधित की जाती हैं.
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इसी मसले पर अनिल कुमार ने हैरानी जताते हुए कहा कि अब तक रजिस्ट्री पर 20 प्रतिशत की छूट थी, अब 30 प्रतिशत सर्कल रेट बढ़ने के बाद सरकार रजिस्ट्री पर 20 प्रतिशत के डिस्काउंट को भी खत्म करने की तैयारी कर रही है, जिससे दिल्लीवालों पर 50 प्रतिशत का भारी बोझ पड़ेगा. राजधानी में अब घर खरीदनें में मुश्किल बढ़ेंगी. दिल्ली सरकार ने कृषि योग्य भूमि पर सर्कल रेट में बदलाव के 2018 में ही तैयारी शुरू कर दी थी.
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जानकारी के अनुसार, दिल्ली के कुछ पॉश इलाकों में सर्कल रेट में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है, हालांकि कुछ कॉलोनियों में मौजूदा दरें बाजार दर से अधिक हैं, उनमें गिरावट की भी संभावना बनी हुई है. संशोधन से लगभग सभी 8 कैटेगरी के इलाके प्रभावित होंगे- ए से एच तक, जहां ए कैटेगरी सबसे समृद्ध और एच कैटेगरी आर्थिक रूप से सबसे कमजोर है. सरकार ने 2014 में आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक जमीन व अचल सम्पतियों के सर्कल रेट में बदलाव किया था.
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