नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट कमांडर को रेप के एक मामले में बरी कर दिया. दरअसल कोर्ट ने उसे संदेह के लाभ पर बरी किया. हाल के फैसले में तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अंकुर जैन ने कई विसंगतियां पाईं. अदालत ने कहा कि यह काफी अप्राकृतिक है कि पीड़िता ने घटना के बाद भी अपनी मां को कुछ नहीं बताया और करीब दो दिन तक इंतजार किया, जब तक कि आरोपी की मां ने शादी को रद्द नहीं कर दिया.

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अदालत ने पीड़िता द्वारा घटना के विभिन्न रूपों पर भी ध्यान दिया. कोर्ट ने देखा कि शुरू से क्या-क्या हुआ था. पीड़िता के अनुसार, उसने 2015 में परिवार के सदस्यों की अनुमति से आरोपी से सगाई कर ली थी और वे नियमित रूप से मोबाइल फोन पर बात करते थे. शिकायत में पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसके साथ उसके चाचा के घर पर एक परिवार के फंक्शन में आरोपी ने उसके साथ रेप किया था. उसने जनकपुरी पुलिस स्टेशन में धारा 376 आईपीसी के तहत FIR दर्ज कराई थी.

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अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि वर्तमान शिकायत आरोपी पर वैवाहिक गठबंधन में प्रवेश करने के लिए दबाव बनाने के लिए की गई थी, जमानत अर्जी की सुनवाई के समय दबाव के आगे झुकते हुए आरोपी ने अभियोक्ता से शादी की थी, जो कि जमानत आदेश में दिखाई देता है. अदालत ने कहा कि गठबंधन नहीं टिक पाया और आखिरकार दोनों अलग हो गए. आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि दोनों पक्षों के बीच संबंध सहमति से बने थे और उनके मुवक्किल ने कोई कथित अपराध नहीं किया था.