दिल्ली की साकेत जिला अदालत ने 23 साल पुराने ठगी मामले में अहम फैसला सुनाया है। फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट में हस्ताक्षर का मिलान फेल होने के बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष की कहानी को संदेहास्पद मानते हुए दो आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आकांक्षा गौतम की अदालत ने मामले में आरोपी धर्मवीर और श्याम कुमार को दोषमुक्त करते हुए कहा कि अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि आरोपियों ने धोखाधड़ी की नीयत से शिकायतकर्ता से पैसे लिए थे। मामले के तीसरे आरोपी बलबीर की कुछ समय पहले ही मृत्यु हो गई थी, जिसके कारण उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई।
यह मामला वर्ष 2002 का है। शिकायत के आधार पर ओखला औद्योगिक क्षेत्र थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता आशा ने पुलिस को बताया कि वह घर पर ट्यूशन पढ़ाती थीं। उनके एक छात्र के परिवार और परिचितों बलबीर, श्याम और धर्मवीर ने उन्हें परिवहन व्यवसाय शुरू करने और चिट-फंड समिति में निवेश का लालच देकर 1 लाख रुपये नकद लिए। इसके बाद हर महीने किश्तों के रूप में भी रकम ली जाती रही। इसी तरह अन्य लोगों से भी लाखों रुपये की ठगी की गई। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आकांक्षा गौतम की अदालत ने कहा कि अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि आरोपियों ने शुरू से ही धोखाधड़ी की नीयत से पैसे लिए थे, इसलिए धर्मवीर और श्याम कुमार को दोषमुक्त किया गया। मामले के तीसरे आरोपी बलबीर की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी, इसलिए उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई।
दस्तावेज नहीं किए पेश
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आकांक्षा गौतम ने अदालत में कहा कि अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि आरोपियों ने शुरुआत से ही धोखाधड़ी की नीयत से पैसे लिए थे, इसलिए धर्मवीर और श्याम कुमार को दोषमुक्त किया गया। अदालत ने यह भी नोट किया कि श्याम कुमार के खिलाफ कोई स्वतंत्र और ठोस दस्तावेजी सबूत पेश नहीं किए गए। गवाहों के बयानों में रकम, तारीखों और पैसों के लेन-देन को लेकर कई विरोधाभास पाए गए।
रिपोर्ट ने पलट दी पूरी कहानी
अभियोजन पक्ष ने अपने केस के समर्थन में एक पत्र को मुख्य सबूत के रूप में पेश किया था, जिस पर आरोपी धर्मवीर के हस्ताक्षर होने का दावा किया गया। यह दस्तावेज पैसों के लेन-देन की पुष्टि के तौर पर पेश किया गया। लेकिन अदालत के अनुसार, जब यह पत्र आरोपी धर्मवीर के नमूना हस्ताक्षरों के साथ FSL भेजा गया, तो 6 मई 2005 की FSL रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि दस्तावेज पर मौजूद हस्ताक्षर आरोपी के नहीं हैं। दस्तावेज पर हस्ताक्षर में छेड़छाड़ के निशान भी पाए गए।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आकांक्षा गौतम ने कहा कि अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि आरोपियों ने शुरुआत से ही धोखाधड़ी की नीयत से पैसे लिए थे। अदालत ने यह भी नोट किया कि श्याम कुमार के खिलाफ कोई ठोस दस्तावेजी सबूत नहीं था और गवाहों के बयानों में पैसों के लेन-देन को लेकर कई विरोधाभास थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल पैसे वापस न होना अपने आप में आपराधिक ठगी नहीं है।
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक


