दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जाट आरक्षण कार्ड खेलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने 4 बार दिल्ली के जाटों को OBC लिस्ट में जोड़ने का वादा किया लेकिन नहीं किया. इस सिलसिले में, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था और दिल्ली के जाटों को केंद्र सरकार की अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची में शामिल करने की मांग की थी. अब कांग्रेस ने केजरीवाल को 11 साल पहले की बात याद दिलाते हुए इस मुद्दे पर निशाना साधा है.

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दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने सवाल उठाया है कि अरविंद केजरीवा ने 2014 में जाटों को ओबीसी दर्जा दिए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और केंद्र सरकार ने उसे उचित ढंग से नहीं बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप वह बाहर हो गए.

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देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली की ओबीसी लिस्ट में शीला दीक्षित के समय का जाट समुदाय था. यूपीए की दूसरी सरकार ने 2014 में 7 राज्यों में जाटों को ओबीसी का दर्जा दिया था, लेकिन एनडीए ने इसे ठीक से नहीं आगे बढ़ाया, इसलिए जाटों को ओबीसी लिस्ट से बाहर कर दिया गया. तब अरविंद केजरीवाल कहां थे? उनका कहना था कि दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग में इंजीनियरों के लिए कुछ वेकेंसी हैं, जिसमें जाट समुदाय का विचार क्यों नहीं किया गया? क्या वे इससे लाभ उठा सकते थे? दिल्ली सरकार ने पिछले दस वर्षों में ओबीसी को लाभ पहुंचाने के लिए कोई नई योजना नहीं बनाई, और बच्चों को स्कॉलरशिप नहीं मिल रही है.