राजधानी दिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, दिल्ली सरकार नई शराब नीति का मसौदा तैयार कर रही है, जिसमें इस बार कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं। इन बदलावों में शराब की दुकानों को बड़ा और अधिक आधुनिक स्वरूप देने के साथ-साथ खुदरा विक्रेताओं को प्रति बोतल मिलने वाले मुनाफे (मार्जिन) में बढ़ोतरी का प्रस्ताव शामिल है। सरकार का उद्देश्य वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने और बाजार को अधिक संगठित स्वरूप देने का बताया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, नई आबकारी नीति का मसौदा लोक निर्माण विभाग मंत्री प्रवेश वर्मा की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तैयार किया जा रहा है। मसौदा अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। बताया जा रहा है कि नई नीति में शराब की दुकानों की लोकेशन को लेकर सख्त दिशा-निर्देश शामिल किए गए हैं। इसके तहत दुकानों को रिहायशी इलाकों, स्कूलों और धार्मिक स्थलों से उचित दूरी पर स्थापित किया जाएगा, ताकि स्थानीय निवासियों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

सरकारी निगमों के तहत ही जारी रहेगी शराब बिक्री व्यवस्था

सरकारी सूत्रों के अनुसार, फिलहाल दिल्ली में शराब की दुकानों का संचालन चार सरकारी निगमों के माध्यम से ही जारी रखने की सिफारिश की गई है। यानी नई आबकारी नीति में भी निजी कंपनियों को शराब की खुदरा बिक्री में प्रवेश की अनुमति देने की संभावना कम है। ऐसे में मौजूदा ढांचा बरकरार रहेगा और शराब की दुकानें सरकारी एजेंसियों के नियंत्रण में ही संचालित होती रहेंगी।

दिल्ली के प्रीमियम ग्राहकों का रुझान गुरुग्राम और नोएडा की आधुनिक दुकानों की ओर बढ़ रहा है, जहां अधिक विकल्प और लंबी खुली रहने वाली दुकानें उपलब्ध हैं। प्रीमियम सेगमेंट की बिक्री वॉल्यूम के हिसाब से 15% से कम है, लेकिन मूल्य (वैल्यू) के हिसाब से यह 35% तक पहुंचती है। नई आबकारी नीति के तहत इस हिस्से को बढ़ाकर राजस्व में सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है।

नई प्रीमियम शराब दुकानों को साकेत, कनॉट प्लेस, द्वारका, एयरोसिटी जैसे प्रमुख इलाके और नरैना, ओखला, मायापुरी जैसे औद्योगिक हब्स में खोला जाएगा, ताकि उपभोक्ताओं को अधिक सुविधा और विकल्प मिल सकें।

नई नीति से दुकानदारों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा

मसौदा नीति में भारतीय निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) पर प्रति बोतल 50 रुपये और आयातित शराब पर 100 रुपये तक खुदरा मार्जिन बढ़ाने का प्रस्ताव है। विशेषज्ञों का कहना है कि मुनाफ़ा बढ़ने से दुकानदारों को उच्च गुणवत्ता और महंगी ब्रांडों का स्टॉक उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे उपभोक्ताओं को विकल्पों की अधिक विविधता मिल सकती है।

वर्तमान में दिल्ली में 700 से अधिक शराब की दुकानें संचालित हो रही हैं, जिनका प्रबंधन चार सरकारी एजेंसियों डीएसआईआईडीसी, डीटीटीडीसी, डीएससीएससी और डीसीसीडब्ल्यूएस के पास है। नई आबकारी नीति के मसौदे में सुझाव दिया गया है कि ये सरकारी निगम दुकानों को बड़े, स्वच्छ और आधुनिक ‘रिटेल स्टोर’ के रूप में विकसित करें। इसके तहत शराब की खरीद को मॉल या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स जैसी सुविधाजनक और व्यवस्थित जगहों पर उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है, ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव मिल सके।

इंडस्ट्रियल एरिया में लग्ज़री स्टोर्स खोलने की भी योजना है। आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, प्रीमियम शराब की दुकानें केवल उन सड़कों पर खोली जाएंगी जिनकी चौड़ाई कम से कम 24 मीटर हो। इन दुकानों को आधुनिक और आकर्षक डिज़ाइन के साथ विकसित किया जाएगा, जिसमें बड़ा डिस्प्ले एरिया, तापमान नियंत्रित स्टोरेज और अधिक ब्रांड्स की उपलब्धता होगी।

वर्तमान में दिल्ली में 570 शराब दुकानों में से केवल 98 प्रीमियम श्रेणी की हैं। नई नीति के तहत इनकी संख्या लगभग दोगुनी करने का प्रस्ताव है। इसके लिए या तो नए प्रीमियम स्टोर खोले जाएंगे, या मौजूदा दुकानों को अपग्रेड करके प्रीमियम श्रेणी में बदला जा सकता है।

पुरानी नीति में जांच और नई नीति के पारदर्शिता के दावे

आपको बता दें कि दिल्ली की वर्तमान आबकारी नीति सितंबर 2022 में लागू की गई थी। इससे पहले, दिल्ली सरकार ने वर्ष 2021-22 में शुरू की गई अपनी सुधारात्मक आबकारी नीति को कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते वापस ले लिया था। उस दौरान हुई गड़बड़ियों को लेकर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच भी जारी है। मौजूदा नीति को अब तक कई बार बढ़ाया जा चुका है और यह 31 मार्च 2026 तक प्रभावी रहेगी।

नई आबकारी नीति को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इसे अब जनता से सुझाव और आपत्तियाँ आमंत्रित करने के लिए सार्वजनिक किया जाएगा। इसके बाद नीति को दिल्ली कैबिनेट और उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सरकार का कहना है कि नई नीति के लागू होने से राजधानी में शराब बिक्री व्यवस्था अधिक पारदर्शी, व्यवस्थित और उपभोक्ता हितों के अनुरूप हो सकेगी।

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