प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ग्रैप के तहत 18 नवंबर को निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाया गया था, इसलिए दिल्ली सरकार ने घोषणा की वह निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध के कारण प्रभावित होने वाले 90,000 से अधिक पंजीकृत मजदूरों में से हर एक को 8,000 रुपये की आर्थिक सहायता देगी. निर्माण कार्यों पर 18 नवंबर को ग्रैप के तहत प्रतिबंध लगाया गया था, इसलिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) आशीष चंद्र वर्मा की अध्यक्षता में दिल्ली भवन एवं निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया.

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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में NCR राज्यों से पूछा कि निर्माण कार्यों पर रोक के चलते प्रभावित होने वाले मजदूरों को कोई गुजारा भत्ता दिया गया है या नहीं. 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर राज्यों के मुख्य सचिवों को इस बारे में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का आदेश दिया था.

बयान के अनुसार, श्रमिक कल्याण बोर्ड ने कहा कि सभी योग्य निर्माण श्रमिकों को 8000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा सकती है जब वे निर्माण श्रमिकों के रूप में मान्यता प्राप्त होंगे. बोर्ड ने 25 नवंबर को कट-ऑफ डेट निर्धारित किया है, जो इसी दिन अदालत से आदेश जारी किए गए.

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रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 90,759 पंजीकृत कर्मचारियों को गुजारा भत्ते के लिए अस्थायी लाभार्थी माना जाएगा, जो धन प्रत्यक्ष लाभ अंतरण मोड के माध्यम से लाभार्थी के आधार से जुड़े बैंक खाते में जमा किया जाएगा. बोर्ड ने कहा कि पात्र कर्मचारियों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा.

यही कारण है कि 90,759 संभावित लाभार्थी बोर्ड के साथ स्व-प्रमाणन के आधार पर रजिस्टर्ड हैं. सरकारी डेटा बताता है कि पिछले साल इन मजदूरों ने निर्माण श्रमिक के तौर पर 90 दिनों तक काम किया था, इसलिए स्व-प्रमाणन की प्रामाणिकता सत्यापित नहीं की जा सकती है.

निर्माण कार्यों से जुड़े कर्मचारियों के सत्यापन के लिए वेब पोर्टल पर दो भाषाओं में एक लिंक भेजा गया है, जिसे मजदूरों को एसएमएस के माध्यम से भेजा गया है. अधिकारियों का कहना है कि सत्यापन के लिए लाभार्थियों का विवरण प्राप्त करने के बाद गुजारा भत्ता की रकम उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी.

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