दिल्ली सरकार ने दिल्ली नगर निगम (MCD) को शहर की 30 से 60 फीट चौड़ी सड़कों की सफाई के लिए सफाई मशीनें खरीदने और कॉन्ट्रैक्टरों के बकाया बिलों का भुगतान करने के उद्देश्य से 615 करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी दे दी है। सरकार की ओर से लोन की पहली किस्त के रूप में 175 करोड़ रुपये MCD को जारी भी कर दिए गए हैं। सरकार ने MCD से कहा है कि आगे की किस्त जारी करने से पहले फंड के उपयोग का विस्तृत ब्योरा (Utilization Plan) जमा करना होगा।

एमसीडी का कहना है कि फंड की कमी के चलते कई क्षेत्रों में सफाई सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हुई है, जिसके चलते बड़े आकार की सड़कों की नियमित मैकेनिकल सफाई और डस्ट कंट्रोल कार्यों पर प्रभाव पड़ा था। अब फंड मंजूर होने से मशीनों की खरीद, रखरखाव और भुगतान प्रक्रिया को गति मिलने की उम्मीद है।

एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम आउटसोर्सिंग मॉडल के तहत 10 साल के मेंटेनेंस अनुबंध के साथ 60 मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीनें खरीदने की योजना बना रहा है। अधिकारी के अनुसार, शहर की 30-60 फीट चौड़ी सड़कों की हफ्ते में कम से कम एक बार मशीनों से सफाई की जाएगी। एमसीडी के पास वर्तमान में 52,000 सफाईकर्मियों का स्टाफ है, जो बाकी दिनों में सड़कों की नियमित सफाई जारी रखेगा। साथ ही, कूड़ा प्रबंधन को व्यवस्थित करने के लिए बड़ी संख्या में कूड़ेदान लगाने की भी योजना है, ताकि खुले में कचरा फेंकने की समस्या कम हो सके।

एमसीडी के दायरे में फिलहाल राजधानी की 60 फीट से कम चौड़ी लगभग 12,700 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत और देखरेख आती है। इसके साथ ही, लोक निर्माण विभाग (PWD) की 60 फीट से अधिक चौड़ी करीब 1,400 किलोमीटर सड़कों की नियमित सफाई की जिम्मेदारी भी एमसीडी पर है। इन सड़कों की सफाई के लिए निगम के पास इस समय कुल 52 मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीनें हैं। इन मशीनों का संचालन शिफ्ट सिस्टम में होता है और इनकी मूवमेंट को ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम से मॉनिटर किया जाता है, ताकि सफाई शेड्यूल का पालन सुनिश्चित हो सके। 52 मशीनों में से सेंट्रल ज़ोन और साउथ ज़ोन में सबसे अधिक 7-7 मशीनें तैनात हैं। बाकी मशीनों को शेष जोनों में सड़कों की लंबाई और आवश्यकता के अनुसार वितरित किया गया है।

एमसीडी के एक अधिकारी ने बताया कि 30 से 60 फीट चौड़ी सड़कों पर मैकेनिकल स्वीपर चलाने में सबसे बड़ी चुनौती ट्रैफिक जाम और सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों की है। ऐसी सड़कों पर दिन के समय मशीनों का सुचारु रूप से चलना मुश्किल होता है, इसलिए इन रूटों पर सफाई की योजना समय और ट्रैफिक पैटर्न को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाएगी। अधिकारियों ने यह भी पुष्टि की कि नगर निगम ने घर-घर से कूड़ा उठाने वाली एजेंसियों के बकाया भुगतान के लिए दिल्ली सरकार से 500 करोड़ रुपये का लोन लेने का प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है, जिसके बाद कूड़ा संग्रहण व्यवस्था में सुधार और सेवा बाधित न होने की उम्मीद है।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, नगर निगम पर कूड़ा संग्रहण करने वाले कॉन्ट्रैक्टरों का लगभग 350 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। उन्होंने कहा, “500 करोड़ रुपये के लोन की मंजूरी मिलने के बाद हम मार्च तक बिना रुकावट भुगतान कर सकेंगे। इससे सफाई व्यवस्था में बाधा नहीं आएगी।”

वहीं, दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्री आशीष सूद ने बताया कि सरकार ने पहली किस्त के रूप में 175 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। उन्होंने कहा, “कॉन्ट्रैक्टरों के बकाया चुकाने और नई सफाई मशीनें खरीदने के लिए फंड दिया गया है। साथ ही, एमसीडी से कहा गया है कि वह फंड के उपयोग का विस्तृत प्लान जमा करे।”

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