नई दिल्ली। विशेषज्ञों ने अक्टूबर में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई है. इससे निपटने के लिए दिल्ली सरकार भी तैयारियों में जुटी है. अरविंद केजरीवाल सरकार (Arvind Kejriwal Government) ने कोरोना वायरस (Corona Virus) की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाने और क्रायोजेनिक टैंकर खरीदने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 16 सितंबर है. यहां जीवनरक्षक गैस की उपलब्धता में सुधार करने के लिए उत्पादन संयंत्र और भंडारण सुविधाओं को स्थापित करने के लिए मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन संवर्धन नीत के तहत निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं.
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इस नीति का मकसद आने वाली किसी भी मेडिकल इमरजेंसी से निपटना है और दिल्ली को मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है. सरकार का लक्ष्य 50 मीट्रिक टन प्रति यूनिट की न्यूनतम क्षमता वाला तरल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करना है. कुल लक्षित क्षमता 100 मीट्रिक टन है. इसके तहत न्यूनतम 10 एमटी और अधिकतम 50 एमटी क्षमता के नन-कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र (पीएसए / एयर सेपरेशन यूनिट प्रौद्योगिकी) की स्थापना होगी, जब तक कि कुल 100 मीट्रिक टन क्षमता का निर्माण पूरा नहीं हो जाता.
तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) उत्पादन संयंत्रों और गैर-कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों को वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की तारीख से पहले पांच वर्षों के लिए विनिर्माण प्रक्रिया में खपत बिजली पर 4 रुपये प्रति यूनिट की दर से सब्सिडी दी जाएगी.
ऐसी होगी नीति
तरल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों और गैर-कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों के शुरू होने के एक महीने के भीतर सकल राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) की पूर्ण प्रतिपूर्ति की जाएगी. इस नीति का उद्देश्य निजी क्षेत्र को अस्पतालों और नर्सिंग होम में न्यूनतम 500 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) क्षमता के पीएसए, एएसयू संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि मेडिकल ऑक्सीजन और न्यूनतम 10 एमटी क्षमता के एलएमओ भंडारण टैंकों की अधिकतम मांग पूरी की जा सके.
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कोरोना की दूसरी लहर में हुई थी ऑक्सीजन की भारी कमी
दिल्ली को अप्रैल और मई में ऑक्सीजन की भारी कमी से जूझना पड़ा था और राजधानी के अस्पतालों ने अपने घटते स्टॉक को फिर से भरने के लिए अधिकारियों को एसओएस कॉल भेजे थे. कई निजी अस्पतालों ने सरकार से अपने मरीजों को इस गंभीर परिस्थिति से बाहर निकालने का अनुरोध किया था. 23 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी के कारण उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार कम से कम 21 कोरोना मरीजों की मौत हो गई थी.