नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार द्वारा आयोजित किया जा रहा बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के जीवन पर आधारित संगीतमय भव्य नाट्य मंचन शुक्रवार से जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में शुरू हो गया. इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एक आम आदमी तक बाबा साहेब के जीवन को पहुंचाने के लिए नाटक सबसे अच्छा जरिया हो सकता है. बाबा साहेब का जीवन बहुत ही प्रेरणादायी है. मैं तो अपने आपको उनका भक्त मानता हूं, हम उनके जीवन को जितना पढ़ते हैं, उतना ही यकीन नहीं होता है कि ऐसा कोई व्यक्ति पैदा हुआ था. केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहेब ने अपनी जिंदगी में जो हासिल किया और दलितों-गरीबों को समाज में बराबरी दिलाने के लिए जो संघर्ष किया, वह बेहद ही अद्भुत है. बाबा साहेब के जीवन से एक ही संदेश मिलता है कि अगर आप पूरी लगन से लग जाओ, तो इस विश्व में कुछ भी असंभव नहीं है.
देश में पहली बार बाबा साहेब पर इस तरह का शो आयोजित
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में शुरू हुए बाबा साहेब के जीवन पर आधारित इस तरह का संगीतमय भव्य शो अपने देश में पहली बार दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित किया जा रहा है. पहले दिन इस संगीतमय भव्य शो को देखने के लिए जानी-मानी हस्तियां भी उपस्थित रहीं. साथ ही सीएम अरविंद केजरवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ पूरा दिल्ली कैबिनेट और सभी विधायक भी मौजूद रहे. दूरदराज से आए बड़ी संख्या में लोगों से स्टेडियम का ऑडोटोरियम खचाखच भर गया. इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम लोग दो साल से योजना बना रहे थे कि बाबा साहेब के जीवन को जन-जन तक कैसे पहुंचाया जाए ? हम लोगों ने स्कूलों में भी बाबा साहेब के बारे में पढ़ाने के लिए अलग से व्यवस्था की. हम लोगों ने सोचा कि एक आम आदमी तक बाबा साहेब को पहुंचाने के लिए नाटक एक सबसे अच्छा जरिया हो सकता है.
बाबा साहेब का जीवन बहुत ही प्रेरणादायी है- केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहेब एक बेहद ही गरीब घर में पैदा हुए थे. उनके घर में खाने को नहीं था. उस समय छुआछूत इतना ज्यादा था कि जब बाबा साहब स्कूल आते थे, तो उन्हें बाहर बैठा दिया जाता था. वहां से निकलकर वो कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने पहुंच गए और लंदन ऑफ इकोनॉमिक्स में पीएचडी करने पहुंच गए. मैं सोच रहा था कि आज के समय में 100 साल बाद भी हमारे बच्चों को कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन ऑफ इकोनॉमिक्स में जाने में नानी याद आ जाती है. कहां किसको एडमिशन मिलता है. आज तो इंटरनेट का जमाना है, उन दिनों तो ये सब नहीं था. आज आप सोच कर देखिए कि 1914-15 के आसपास बाबा साहेब जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी गए थे, तब इसके बारे में जानकारी इकट्ठा करना कितना मुश्किल था. उन्होंने फॉर्म कहां से लिया, उन्होंने आवेदन कैसे किया, यह सोच-सोच कर मैं दंग रह जाता हूं.
बाबा साहेब के संदेशों को लोगों तक पहुंचाएगा यह नाटक
हम सभी बाबा साहब को भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में जानते हैं, लेकिन उनके जीवन के ऐसे कई पहलू हैं, जिनसे आम तौर पर लोग अनजान हैं. जैसे कि एक अर्थशास्त्री के रूप में उनकी भूमिका, आरबीआई की स्थापना, महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देना आदि. सही मायने में यह नाटक बाबा साहेब के संदेश को लोगों तक पहुंचाएगा. बाबा साहेब के मूल्यों और संदेश को आत्मसात करने के लिए यह शो बाद के दिनों में दिल्ली सरकार के स्कूलों के हरेक प्रधानाचार्य, छात्रों और शिक्षकों को भी दिखाया जाएगा. सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रही है. इस संगीत समारोह के माध्यम से दर्शकों को एक अंतरराष्ट्रीय रंगमंच का अनुभव प्रदान करने का प्रयास है, जिसमें 40 फुट चौड़े घूमने वाले मंच के साथ 100 फुट का मंच है.
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12 मार्च तक शो का होगा आयोजन
बता दें कि दिल्ली सरकार द्वारा बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के महान एवं प्रेरणादायी जीवन को एक संगीतमय नाटक के ज़रिए दर्शाया जा रहा है. दुनिया भर में बाबा साहब के करोड़ों प्रसंशक और अनुयायी हैं. जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 12 मार्च तक चलने वाले इस भव्य शो के प्रतिदिन दो शो होंगे. आम जनता के लिए यह शो बिल्कुल मुफ्त है, लेकिन सीमित सीट होने के कारण टिकट पहले बुक करना होगा. मोबाइल नंबर 8800009938 पर काल करके या www.babasahebmusical.in जाकर टिकट बुक कर सकते हैं. दिल्ली सरकार की अपील है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग आकर नाटक देखें और बाबा साहब के जीवन से प्रेरणा लें. इस शो में मुख्य कलाकार के रूप में रोहित बोस रॉय, कथाकार के रूप में टिस्का चोपड़ा और टीकम जोशी जैसे शानदार कलाकार हैं. महुआ चौहान ने नाटक का निर्देशन किया है. उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके जीवन पर भव्य संगीतमय नाटक आयोजित करने का निर्णय लिया था. पहले यह नाटक 5 जनवरी से शुरू होने वाला था, लेकिन ओमिक्रॉन कोरोना की वजह से इसे स्थगित करना पड़ा था.
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