दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 101 निजी स्कूलों को दी गई भूमि का आवंटन रद्द करने की सिफारिश की है. दिल्ली सरकार की ओर से इस कार्यवाई के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से सिफारिश की गई है.
इतना ही नहीं बल्कि सरकार की ओर से हाईकोर्ट में हलफनामा भी दाखिल किया गया है, जिसमें संबंधित संस्थानों पर उचित करवाई करने की बात कही गई है. यह जानकारी हिंदुस्तान में प्रकाशित की गई एक हालिया रिपोर्ट के हवाले से सामने आई है.
जस्टिस मिनी पुष्करणा की बेंच के समक्ष दायर हलफनामे में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने कहा कि उन्होंने डीडीए से सौ से ज्यादा स्कूलों का भूमि आवंटन रद्द करने की सिफारिश की है, जो नियमों की अवहेलना कर रहे हैं. ये स्कूल कम आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के लिए आरक्षित 25 फीसदी सीटों के नियम को दरकिनार करते पाए गए हैं.
हलफनामे के अनुसार, इनमें से 62 स्कूलों के भूमि आवंटन को रद्द करने की सिफारिश 13 दिसंबर 2023 को डीडीए से की गई थी. वहीं, 39 स्कूलों के संबंध में इसी वर्ष 12 जनवरी को डीडीए को पत्र लिखा था.
महंगी जमीन सस्ते दामों में ली थी
इस मामले में वरिष्ठ वकील खगेश झा और वकील शिखा शर्मा बग्गा ने वर्ष 2013 में 350 निजी स्कूलों के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी. इसमें दलील दी गई थी कि ये स्कूल ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 25 फीसदी छात्रों को दाखिला नहीं दे रहे हैं, जबकि उन्होंने इसी शर्त पर महंगी जमीन सस्ते दामों में ली है, इसलिए इनके भूमि आवंटन को रद्द कर दिया जाए.
176 संस्थान चिह्नित किए थे
दिल्ली के सभी 13 जिलों में शिक्षा निदेशकों ने इन स्कूलों का निरीक्षण किया. इसके लिए 176 स्कूल चिह्नित किए गए थे. पहले चरण में 62 स्कूलों का निरीक्षण किया गया. इन 62 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करने के बाद 29 दिसंबर 2023 को नए सिरे से 114 संस्थानों की निरीक्षण सूची जारी की गई. इसमें से 91 की रिपोर्ट दाखिल कर दी गई.
दिल्ली सरकार संचालन करेगी
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की तरफ से कहा गया कि उन्होंने जिन स्कूलों की जमीन आवंटन रद्द करने की सिफारिश की है, उन सभी स्कूलों का संचालन दिल्ली सरकार करेगी. इस बाबत बेंच को भी सूचित कर दिया गया है.
डीडीए ने आठ संस्थानों की लीज खत्म की
दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि डीडीए से मिली जानकारी के अनुसार, 101 में से आठ स्कूलों की जमीन की लीज खत्म कर दी गई है. वहीं, दो स्कूल ऐसे भी मिले हैं, जिनकी जानकारी और नाम समान हैं. दिल्ली सरकार की ओर से 13 दिसंबर 2023 को डीडीए से 62 स्कूलों की जमीन का आवंटन रदद् करने की सिफारिश की गई थी. वहीं, इसी वर्ष 12 जनवरी दूसरी सूची में 39 और स्कूलों को शामिल किया गया था, जिनकी जमीनों का आवंटन निरस्त होना था.
अदालत ने वर्ष 2014 में कार्रवाई के आदेश दिए थे
इस बाबत हाईकोर्ट ने 24 नवंबर 2014 को आदेश पारित कर सरकार को कार्रवाई के आदेश दिए थे. हालांकि, ठोस कदम न उठाए जाने पर इस मामले में सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की गई. इस पर सरकार ने अब बताया है कि उसने 101 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अभी 23 स्कूल ऐसे हैं, जहां निरीक्षण होना बाकी है. इसके लिए 16 जनवरी को शिक्षा निदेशकों को पत्र जारी किया गया है. इनमें से छह स्कूलों को अभी तक तलाशा नहीं जा सका है.
क्या है पूरा मामला?
असल इस मामले की शुरुआत हुई थी, साल 2013 हाईकोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका के साथ, जिसे एक वरिष्ठ अधिवक्ता खगेश झा और अधिवक्ता शिखा शर्मा बग्गा के द्वारा दायर किया गया था. यह याचिका लगभग 350 निजी स्कूलों के खिलाफ थी, जिन पर ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत निर्धारित 25 प्रतिशत छात्रों को दाखिला नहीं देने जैसे आरोप लगाए गए थे.
यह तब जब स्कूलों से तय सभी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने की शर्त के साथ उन्हें महँगी जमीनें सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाई गई थीं. ऐसे में नियमों की अवहेलना करने पर संबंधित स्कूलों के जमीन आवंटन रद्द करने की माँग की गई थी.