केजरीवाल ने दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को दिया धोखा : दिल्ली भाजपा
पीयूसी प्रमाणपत्र क्या है ?
प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र वाहनों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पंजीकृत पीयूसी केंद्रों के माध्यम से जारी किया जाता है. दिल्ली में 10 जोन में लगभग 966 ऐसे केंद्र हैं. इस वाहनों के प्रदूषण की निगरानी और उत्सर्जन मानदंडों के अनुसार वाहनों की फिटनेस प्रमाणित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. प्रदूषण स्तर परीक्षण निरीक्षकों द्वारा समय-समय पर जांच भी की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पीयूसी केंद्रों द्वारा सही प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं. विभाग के अनुभव के अनुसार पेट्रोल पंपों पर पीयूसीसी की जांच अत्यधिक प्रभावी तरीके से होती है. इस वजह से दिल्ली में पेट्रोल पंपों पर वाहनों में ईंधन भरने के लिए पीयूसी प्रमाणीकरण अनिवार्य करने का प्रस्ताव लाया गया है. दिल्ली के खराब वायु गुणवत्ता स्तर को देखते हुए इस कदम से सड़कों पर गैर-प्रदूषणकारी वाहन देखने को मिलेंगे.
असुविधा को कम करने के लिए तकनीकी आधारित कार्यान्वयन विधियों को भी अमल में लाया जाना चाहिए
नीति की स्वीकृति के साथ-साथ सरकार इस नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए तकनीकी आधारित पद्धतियां स्थापित करने पर भी काम कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीयूसी प्रमाण पत्र की जांच के संबंध में वाहन मालिकों के साथ-साथ पेट्रोल पंप मालिकों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े और लंबी कतारें न लगें. इन विधियों में आरएफआईडी जैसी तकनीक भी शामिल हो सकती है.
दिल्ली सरकार प्रदूषण से निपटने के लिए सभी उपाय कर रही है
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल सरकार लगातार वाहन प्रदूषण कम करने के लिए पहल करती रही है. इन कदमों को मोटे तौर पर तकनीकी और गैर-तकनीकी उपायों में वर्गीकृत किया जा सकता है. गैर-तकनीकी उपकरणों में बेहतर यातायात प्रबंधन प्रणाली, सार्वजनिक परिवहन में वृद्धि, जन जागरूकता पैदा करना और जांच के लिए अभियान चलाना जैसे कदम शामिल हैं. वाहनों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तकनीकी उपकरणों में वाहन प्रौद्योगिकी में सुधार, ईंधन की गुणवत्ता में सुधार, स्वच्छ ईंधन पर वाहनों को स्विच करना, नए और पुराने वाहनों के लिए कड़े उत्सर्जन मानदंडों का कार्यान्वयन और एक कुशल पीयूसीसी प्रणाली शामिल है.
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