नई दिल्ली. इलाज के लिए अस्पतालों में भटकने और इलाज नहीं मिलने से मौत के मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के तीन सरकारी अस्पतालों से जवाब मांगा है. साथ ही दिल्ली सरकार के अधिकारियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली के फरिश्ते योजना चालू होती तो मरीज की जान बचाई जा सकती थी.

उनका कहना है कि पीड़ित को जीटीबी, जग प्रवेश चंद्र और लोकनायक और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अस्पतालों ने भर्ती कर इलाज करने से मना कर दिया. सरकार ने इस अस्पतालों से इसका कारण पूछा है. यदि फरिश्ते योजना चल रही होती तो उसे नजदीकी निजी अस्पताल में ले जाया जा सकता था और उसके जीवित रहने की काफी संभावना होती. योजना को चालू करने के लिए कई बार आवाज उठाई, लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ.

योजना के लिए धन को रोकने के मामले में स्वास्थ्य सचिव और पूर्व स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन इस दिशा में भी कुछ नहीं हुआ. वहीं, आरएमएल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल किसी भी गंभीर मरीज को इलाज देने से इन्कार नहीं करता. मामले की जांच की जाएगी, इसके बाद ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकेगा.