दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) ने एक ग्रुप कैप्टन को, जिन्होंने वायुसेना में 31 वर्षों तक सेवा दी, उनके नौकरी के दौरान विकसित हुए उच्च रक्तचाप और टाइप-II मधुमेह को दिव्यांगता के रूप में मान्यता देते हुए ताउम्र दिव्यांगता पेंशन (disability pension) प्रदान करने का आदेश दिया है. जस्टिस सी. हरीशंकर और जस्टिस अजय दिग्पॉल की बेंच ने स्पष्ट किया कि सशस्त्र बलों में भर्ती के समय उम्मीदवारों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की जांच की जाती है.
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यदि भर्ती के समय उम्मीदवार पूरी तरह से स्वस्थ पाया जाता है, तो बाद में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को सैन्य सेवा के प्रभाव के रूप में माना जाएगा. बेंच ने यह भी स्वीकार किया कि सशस्त्र बलों में तैनात अधिकारियों को तनाव और दबाव का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियाँ विकसित हो सकती हैं.
यह तनाव और दबाव सेवा का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, लेकिन इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली बीमारियां दिव्यांगता की श्रेणी में आती हैं. अदालत ने केंद्र सरकार और वायुसेना द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इस बीमारी को दिव्यांगता के रूप में मान्यता देने के आदेश को चुनौती दी गई थी.
ग्रुप कैप्टन गिरीश कुमार जौहरी, जिन्होंने भारतीय वायुसेना में 31 वर्षों तक सेवा की, ने दिव्यांगता पेंशन के लिए सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) में याचिका दायर की. उन्होंने यह आरोप लगाया कि उनकी स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे उच्च रक्तचाप और टाइप-II डायबिटीज, सेवा के दौरान उत्पन्न हुईं. एएफटी ने उनके पक्ष में निर्णय दिया, लेकिन केंद्र सरकार और वायुसेना ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया. अदालत ने यह माना कि सशस्त्र बलों में कार्यरत अधिकारियों को तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जो इन बीमारियों का कारण बन सकता है, और इसलिए वे दिव्यांगता पेंशन के लिए पात्र हैं.
नौकरी के दौरान से ही देनी होगी दिव्यांगता पेंशन
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह वायुसेना के दिव्यांग अधिकारी को 1996 से, जब उसे उच्च रक्तचाप और टाइप-II डायबिटीज की बीमारी हुई, उसके जीवनकाल तक मूल वेतन का 50 % दिव्यांगता पेंशन के रूप में प्रदान करे. इसके साथ ही, कोर्ट ने 1996 से अब तक की राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करने का आदेश दिया है. अदालत ने तीन महीने के भीतर पेंशन और बकाया राशि का भुगतान करने की बात कही है, जो अधिकारी की मूल रिटायरमेंट पेंशन के अतिरिक्त होगी.
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