Clash On Delhi Idgah Park: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली ईदगाह पार्क के 13,000 वर्ग मीटर जमीन को DDA की संपत्ति घोषित कर दिया है। अब इस जगह पर रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai) की प्रतिमा लगाई जाएगी। पहले ईदगाह पार्क में स्थापित हो रहे रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा को मुस्लिम पक्ष (वक्फ बोर्ड-Waqf Board) विरोध कर रहा था। दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए वक्फ बोर्ड को दावे को खारिज कर दिया।
इधर हाई कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण आज से नी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा स्थापित करने का काम शुरू कर रहा है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस चौकस हो गई है। दिल्ली के ईदगाह पार्क इलाके में पुलिसबल को तैनात कर दिया गया है। पूरे इलाके की सीसीटीवी कैमरे से निगरानी हो रही है।
गुरुवार देर शाम सोशल मीडिया पर एक फेक मैसेज डिस्ट्रीब्यूट हुआ और इसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भीड़ जमाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। लगभग 100 महिलाओं की भीड़ घटनास्थल पर धरने पर बैठ गईं। पुलिस ने महिलाओं को समझाया, जिसमें बाद वहां स्थिति अभी सामान्य बनी हुई है।
पुलिस ने फिलहाल सभी प्रदर्शनकारियों को हटा दिया है। आज जुमे की नमाज है, ऐसे में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं। अर्धसैनिक बलों के अलावा पुलिस फोर्स तैनात रहेगी। पुलिस ने एहतियातन इस पार्क की ओर जाने वाले रास्तों को बंद कर रखा है। साथ ही पार्क के आसपास भारी पुलिस बल को तैनात किया गया है। बता दें कि ये पार्क झंडेवालान माता मंदिर से कुछ ही कदमों की दूरी पर है।
DDA लगा रहा रानी लक्ष्मीबाई की मूर्तिः पुलिस
पुलिस के अधिकारियों ने बताया, ‘उत्तरी दिल्ली में शाही ईदगाह इलाके में हाई कोर्ट के आदेश पर रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति डीडीए लगा रहा है। मूर्ति स्थापित किये जाने का काम चल रहा है। इस बीच कुछ स्थानीय लोगों में मैसेज सर्कुलेट किया गया कि की विरोध प्रदर्शन होगा, इसी वजह से कुछ लोग पहुंच गए थे। विरोध प्रदर्शन करने की पुलिस ने कोई इजाजत नहीं दी थी।
इस फेक मैसेज के बाद हुआ विरोध प्रदर्शन
गुरुवार को स्थानीय स्तर पर एक मैसेज व्हाट्सएप पर सर्कुलेट हुआ कि आज शाम को 4 बजे ईदगाह पर पहुंचना है। इस मैसेज में गलत जानकारी दी गई थी कि ईदगाह के साथ कुछ गलत हो रहा। इस तरीके की गलत जानकारी के जरिए कुछ लोगों को वहां पहुंचने के लिए बोला गया था। इसके बाद ईदगाह में शाम के वक्त नमाज के बाद थोड़ी भीड़ जमा हो गई थी। पुलिस ने बताया कि कुछ लोगों ने गलत मैसेज फैलाया कि ईदगाह की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है। पार्क में जो कुछ भी हो रहा है, वो दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर हो रहा है।
हाई कोर्ट ने फैसले में क्या कहा
दिल्ली हाई कोर्ट ने सदर बाजार स्थित शाही ईदगाह पार्क में झांसी की रानी की प्रतिमा स्थापित करने पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई ठोस आधार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता शाही ईदगाह (वक्फ) प्रबंध समिति को DDA द्वारा शाही ईदगाह के आसपास के पार्क के रखरखाव का विरोध करने के लिए कोई कानूनी या मौलिक अधिकार नहीं है। इसके साथ ही शाही ईदगाह (वक्फ) प्रबंध समिति को दिल्ली नगर निगम द्वारा उसके आदेश पर प्रतिमा की स्थापना का विरोध करने का भी कोई कानूनी या मौलिक अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने कहा, “अगर यह मान भी लें कि याचिकाकर्ता के पास रिट याचिका दायर करने का अधिकार है। फिर भी कोर्ट को यह नहीं लग रहा कि उनके नमाज अदा करने या किसी भी धार्मिक अधिकार का पालन करने के अधिकार को किसी भी तरह से खतरे में डाला जा रहा है।
न्यायाधीश ने कहा, यह कहने की जरूरत नहीं है कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग द्वारा यथास्थिति बनाए रखने का आदेश स्पष्ट रूप से किसी अधिकार क्षेत्र से परे था। कोर्ट ने शाही ईदगाह पर अतिक्रमण न करने के लिए निकाय प्राधिकारों को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि यह एक वक्फ संपत्ति है।
वक्फ बोर्ड का ये है दावा
समिति ने 1970 में प्रकाशित एक गजट अधिसूचना का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि शाही ईदगाह पार्क मुगल काल के दौरान निर्मित एक प्राचीन संपत्ति है, जिसका उपयोग नमाज अदा करने के लिए किया जा रहा है। यह कहा गया कि इतने बड़े परिसर में एक समय में 50 हजार से अधिक लोग नमाज अदा कर सकते हैं।
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