जल संकट के मुद्दे पर हाईकोर्ट(Delhi High court) ने दिल्ली जल बोर्ड और नगर निगम के आयुक्त को कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने उन्हें निर्देश दिया है कि वे 10 दिनों के भीतर अवैध बोरवेल(illegal borewells) का सर्वेक्षण कर सख्त कार्रवाई करें. न्यायालय ने चेतावनी दी है कि यदि जल निकासी को नहीं रोका गया, तो दिल्ली को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग जैसी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जहां कुछ वर्ष पूर्व पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ा था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अवैध बोरवेल से पानी निकालना अत्यंत अनुचित है. ऐसे कार्यों पर रोक लगानी चाहिए और अवैध बोरवेल को समाप्त किया जाना आवश्यक है. अदालत ने चेतावनी दी कि यदि इन बोरवेल को बंद नहीं किया गया, तो राजधानी में जल संकट की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने स्पष्ट किया कि अवैध बोरवेल जल स्तर को घटा रहे हैं. कुछ वर्ष पूर्व, जोहानिसबर्ग के निवासियों को जल संकट का सामना करना पड़ा था. क्या आप चाहते हैं कि दिल्ली में भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो?
10 दिन में रिपोर्ट दें
उच्च न्यायालय में अधिवक्ता सुनील कुमार शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की गई. याचिका में आरोप लगाया गया कि रोशनआरा क्षेत्र के गोयनका रोड पर एक निर्माणाधीन इमारत में कई बोरवेल और सबमर्सिबल पंप अवैध रूप से स्थापित किए गए हैं, जिन्हें हटाने की मांग की गई. याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया कि निगम ने सूचना का अधिकार आवेदन के जवाब में बताया है कि इमारत में छह बोरवेल पाए गए हैं. वहीं, दरियागंज के एसडीएम ने आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा कि इमारत में तीन बोरवेल मिले हैं, जिन्हें सील कर दिया गया है. इस पर अदालत ने निगम, दिल्ली जल बोर्ड और क्षेत्र के थानाध्यक्ष को निर्देश दिया कि वे 10 दिन के भीतर संपत्ति का संयुक्त सर्वेक्षण कर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें.
जुर्माना लगाने पर विचार: कोर्ट ने निर्देश दिया है कि यदि निर्माण स्थल पर कोई अवैध बोरवेल सक्रिय पाया जाता है, तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि टीम को यह जानकारी मिलती है कि अवैध बोरवेल पहले से चालू थे, तो उन्हें अपनी रिपोर्ट में मशीनों की संख्या और उनकी सक्रियता के वर्षों का उल्लेख करना आवश्यक है. पीठ ने कहा कि रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर, वह जल स्तर को प्रभावित करने के लिए भवन मालिकों पर पर्यावरणीय जुर्माना लगाने पर विचार करेगी. मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी.
बोरवेल से काफी नुकसान हो रहा
पीठ ने उल्लेख किया कि रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर वह जल स्तर को प्रभावित करने के लिए भवन मालिकों पर पर्यावरणीय मुआवजा लगाने पर विचार कर सकती है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह आरोप लगाया है कि बिल्डिंग मालिक एक प्लॉट पर लगभग 100 फ्लैट का निर्माण कर रहा है. इसके अतिरिक्त, बोरवेल के कारण क्षेत्र के निवासियों को गंभीर नुकसान हो रहा है, जो पर्यावरण के लिए भी हानिकारक हो सकता है.
जल बोर्ड ने NGT को सौंपी थी रिपोर्ट
दिल्ली जल बोर्ड ने 19 मार्च, 2025 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की थी. यह मामला भूजल के अवैध दोहन से संबंधित था, जिसमें बोरवेल का उपयोग किया जा रहा था. रिपोर्ट में अवैध बोरवेल के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है.
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