दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) ने यमुना नदी (Yamuna River) में फैक्ट्री से निकले अनट्रीटेड पानी और औद्योगिक कचरे के मामले में कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने इसे बेहद चिंताजनक और चौंकाने वाला बताया और चेताया कि अगर तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यमुना नदी को बचाना असंभव हो जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस प्रभा सिंह और जस्टिस प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (DPCC) को आदेश दिया है कि अगली सुनवाई तक सभी औद्योगिक इलाकों की विस्तृत जानकारी पेश करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में यह बताना आवश्यक होगा कि किस कारखाने में ट्रीटमेंट प्लांट मौजूद है, वहां किस स्तर का ट्रीटमेंट हो रहा है और कितनी फैक्ट्रियां इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स से जुड़ी हुई हैं।
कोर्ट में पेश रिपोर्ट में सामने आईं गंभीर कमियां
दिल्ली हाईकोर्ट में यमुना में अनट्रीटेड पानी और औद्योगिक कचरे के मामले की सुनवाई के दौरान तीन अलग-अलग रिपोर्टें पेश की गईं। इन रिपोर्टों में कई गंभीर कमियां उजागर हुईं। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश फैक्ट्रियां बिना ट्रीटमेंट के गंदगी सीधे नालों में छोड़ रही हैं। घरेलू सीवेज और औद्योगिक कचरा आपस में मिलकर यमुना नदी तक पहुंच रहा है। इसके अलावा सीईटीपी और एसटीपी का सही उपयोग नहीं हो रहा, कई जगह पाइपलाइन जर्जर हैं। ट्रीटेड पानी भी बिना ट्रीटमेंट वाले पानी से मिलकर प्रक्रिया को बेकार कर रहा है। कई संयंत्रों में मीटर और फ्लो डेटा लाइव उपलब्ध नहीं है, जिससे निगरानी और नियंत्रण में भी गंभीर बाधा आ रही है।
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सीवेज और स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम की योजना बनाना जरूरी
दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना में अनट्रीटेड पानी और औद्योगिक कचरे के मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली में सीवेज और स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम की पूरी योजना बनाना जरूरी है। कोर्ट ने सुझाव दिया कि इसके लिए साल 2018 में IIT दिल्ली द्वारा तैयार मास्टर प्लान को अपडेट किया जाए और लागू किया जाए। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक कोर्ट अनुमति नहीं देगा, तब तक कोई नया टेंडर जारी नहीं किया जाएगा।
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कागजों पर नहीं, जमीन पर यमुना दिखे साफ
दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना में अनट्रीटेड पानी और औद्योगिक कचरे के मामले में कहा कि अब केवल कागजी रिपोर्टों पर भरोसा नहीं किया जा सकता, बल्कि जमीनी स्तर पर यमुना साफ दिखना जरूरी है। सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड और नगर निगम ने कोर्ट को बताया कि योजना पर तेजी से काम करने के लिए कई मीटिंग हो चुकी हैं और एक समग्र एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। साथ ही, दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने हाईकोर्ट को जानकारी दी कि सीआईटी (क्लस्टर इंडस्ट्रियल ट्रीटमेंट) को अपग्रेड करने की प्रक्रिया चल रही है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन से बवाना और नरेला की फैक्ट्रियों तथा सीआईटी की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यमुना को प्रदूषण से बचाने के लिए अब केवल कागजी दावे नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई करनी होगी।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना नदी में अनट्रीटेड पानी और औद्योगिक कचरे के मामले की सुनवाई साल 2022 में स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की थी। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को निर्धारित की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस सुनवाई में यमुना की सफाई और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा की जाएगी। इस सुनवाई को बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे यह तय होगा कि यमुना को प्रदूषण से बचाने के लिए कौन-से ठोस कदम जमीन पर लागू किए जा रहे हैं।
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