दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आईपीएस अधिकारी को उसकी पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन बिताने के लिए पश्चिम बंगाल से उत्तर प्रदेश कैडर में स्थानांतरित करने की अनुमति दी है. न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि उच्च पद पर कार्यरत व्यक्ति को भी पारिवारिक जीवन जीने का अधिकार है. पश्चिम बंगाल सरकार को इस IPS अधिकारी को तुरंत कार्यमुक्त करने का आदेश दिया गया है, जिसके लिए न्यायालय ने दो सप्ताह का समय निर्धारित किया है.

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जस्टिस सी हरीशंकर और जस्टिस अजय दिग्पॉल की बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार के व्यवहार पर अपनी कड़ी असहमति व्यक्त की. बेंच ने यह स्पष्ट किया कि जब अंतर-कैडर ट्रांसफर नीति के तहत पति-पत्नी को एक साथ नियुक्ति देने का प्रावधान मौजूद है, तो राज्य सरकार लंबे समय से अधिकारियों की कमी का बहाना क्यों बना रही है, जिससे वह ट्रांसफर नहीं कर पा रही है.

बेंच ने यह स्पष्ट किया कि यह केवल एक विशिष्ट मामला नहीं है. पश्चिम बंगाल सरकार से संबंधित कई अन्य मामले भी यहां लंबित हैं. बेंच ने यह भी उल्लेख किया कि मुकदमेबाजी को खेल के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और न्यायालय का मूल्यवान समय बार-बार एक ही मुद्दे पर बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए.

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हाईकोर्ट ने एक मामले में निर्णय देते हुए कहा कि विभिन्न राज्यों में तैनात होने के कारण एक विवाहित जोड़े को साथ रहने में कठिनाई हो रही है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी तंत्र अपनी जगह है, लेकिन एक पति और पत्नी के अधिकार भी महत्वपूर्ण हैं. दोनों आईपीएस अधिकारी हैं और हाल ही में विवाह बंधन में बंधे हैं, फिर भी अलग-अलग कैडर में तैनाती के कारण वे अपने वैवाहिक जीवन का आनंद नहीं ले पा रहे हैं. न्यायालय ने यह भी कहा कि हर अधिकारी को अपने गृहस्थ जीवन का अधिकार है, जिसे किसी भी परिस्थिति में बाधित नहीं किया जा सकता.

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‘हमें कोई आपत्ति नहीं’

यूपी सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसे याचिकाकर्ता आईपीएस अधिकारी को पश्चिम बंगाल कैडर से यूपी कैडर में स्थानांतरित करने में कोई समस्या नहीं है. दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल सरकार ने बताया कि उनके पास अधिकारियों की कमी है, इसलिए वे उस अधिकारी का स्थानांतरण नहीं कर सकते.

यह है मामला

याचिकाकर्ता 2021 में पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी बने. उनकी शादी 2020 में उत्तर प्रदेश कैडर की आईपीएस अधिकारी से हुई. चूंकि उनकी पत्नी बनारस में कार्यरत हैं, उन्होंने यूपी कैडर में स्थानांतरण की मांग की, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने इस अनुरोध को असंगत बताया.