दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Cout) ने रोहिणी सेक्टर 36 और 37 में प्लॉट आवंटन के मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को चेतावनी दी है कि जब तक पानी की उचित व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक आवंटन नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने इन सेक्टर के निवासियों को राहत प्रदान करते हुए DDA को निर्देश दिया है कि वह दो महीने के भीतर यहां पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करे.
इसके अतिरिक्त, अंतरिम राहत के रूप में डीडीए को निर्देशित किया गया है कि वह स्थायी जल संरचना की स्थापना तक पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करे. यह मामला मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष एक जनहित याचिका के रूप में प्रस्तुत किया गया. पीठ ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया कि डीडीए द्वारा हजारों परिवारों को प्लॉट आवंटित किए जाने के बावजूद, डेढ़ दशक बीत जाने के बाद भी यहां पानी की उचित व्यवस्था नहीं की गई है. याचिका का पक्ष एडवोकेट योगेश गोयल और आर्यन सिंह सागर ने रखा.
पीठ के समक्ष एक अजीब स्थिति उत्पन्न हुई जब डीडीए ने यह बताया कि उसने वर्ष 2022 में संबंधित सेक्टरों को जल आपूर्ति के लिए दिल्ली जल बोर्ड को जिम्मेदारी सौंप दी थी और इसके लिए पर्याप्त राशि का भुगतान भी किया गया है. इस पर पीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों पक्ष एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने में लगे हैं.
पीठ ने अपने निर्णय में दिल्ली विकास प्राधिकरण अधिनियम की धारा 36 का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि नागरिकों को उचित सुविधाएं प्रदान करना प्राधिकरण का दायित्व है.
2008-10 के बीच 10 हजार प्लॉट DDA ने बेचे थे
अजय अग्रवाल, जो जन सेवा वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष हैं, ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका में उल्लेख किया गया है कि 2008 से 2010 के बीच डीडीए ने रोहिणी सेक्टर 36 और 37 में लगभग दस हजार प्लॉट आवंटित किए. याचिका में यह भी कहा गया है कि यह क्षेत्र पूरी तरह से विकसित आवासीय है, लेकिन यहां स्वच्छ पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. डीडीए ने अब तक पाइपलाइन स्थापित नहीं की है.
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