Delhi High Court On Ram Manohar Lohia Hospital: दिल्ली हाईकोर्ट ने राम मनोहर लोहिया अस्पताल में जरूरी दवाओं की किल्लत पर सख्त रूख अपनाया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने आरएमएल अस्पताल में दवाओं की कमी और जांच सुविधाओं की कमी पर नाराजगी जताई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्पताल प्रशासन से पूछा है कि जब यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिल रहीं तो उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा? अदालत ने अस्पताल प्रशासन से रिपोर्ट तलब कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने आरएमएल अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को निर्देश दिया है कि वे एक हलफनामा दायर कर यह बताएं कि अस्पताल में न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग सुविधा क्यों बंद है। साथ ही जरूरी दवाएं मरीजों को उपलब्ध क्यों नहीं कराई जा रही है।

दिल्ली हाईकोर्ट में यह याचिका एनजीओ कुटुंब ने दायर की है। एनजीओ की ओर से पेश वकील ने दलील देते हुए कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक RML अस्पताल में पिछले एक साल से NAT टेस्टिंग मशीन खराब पड़ी है। यह टेस्ट खून में एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी जैसी घातक बीमारियों का शुरुआती पता लगाने के लिए जरूरी है। वकील ने कहा कि नवंबर 2024 से यह मशीन काम नहीं कर रही। इसके कारण अब सिर्फ साधारण सेरोलॉजी टेस्ट किए जा रहे हैं। इससे उन मरीजों को बड़ा खतरा है जिन्हें बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत होती है, जैसे थैलेसीमिया के मरीज।

वकील ने अस्पताल में लगाया दवाओं की कमी का आरोप

याचिका में यह भी कहा गया कि अस्पताल में जरूरी दवाओं की भारी कमी है. गरीब मरीजों को दवाएं बाहर की दुकानों से महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही हैं। इससे सरकारी अस्पताल होने का उद्देश्य ही खत्म हो जाता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी गरीब और जरूरतमंद मरीजों के साथ अन्याय है और इस पर जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाने जरूरी है।

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