दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi Police) ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की भर्ती प्रक्रिया से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में उम्मीदवार को बड़ी राहत दी है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि महज 0.4 सेंटीमीटर की लंबाई की कमी के आधार पर किसी योग्य उम्मीदवार को चयन प्रक्रिया से बाहर करना अनुचित, मनमाना और कानून के विपरीत है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि भर्ती मानकों का पालन ज़रूरी है, लेकिन इतने मामूली अंतर को आधार बनाकर किसी का करियर प्रभावित नहीं किया जा सकता। अदालत ने संबंधित प्राधिकरण को उम्मीदवार को चयन प्रक्रिया में आगे बढ़ने देने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि उम्मीदवार की 164.6 सेंटीमीटर लंबाई को नियमों के अनुसार 165 सेंटीमीटर माना जाना चाहिए। जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने कहा कि भर्ती नियमों के मुताबिक 0.5 सेंटीमीटर से कम का अंतर नजरअंदाज किया जाना चाहिए, जबकि 0.5 सेंटीमीटर या उससे अधिक होने पर लंबाई को पूर्णांक में लिया जाता है। अदालत के अनुसार, यही नियम लागू करते हुए उम्मीदवार की 164.6 सेंटीमीटर लंबाई को सीधे 165 सेंटीमीटर माना जाना चाहिए था।
बेंच ने अपने आदेश में कहा कि सीएपीएफ भर्ती में मेडिकल परीक्षण से जुड़े दिशा-निर्देशों में भी स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि 0.5 सेंटीमीटर से कम का अंतर नजरअंदाज किया जाएगा। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया था कि असिस्टेंट कमांडेंट पद के लिए मेडिकल जांच के दौरान उसकी लंबाई 164.6 सेंटीमीटर नापी गई, इसी आधार पर उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया। अदालत ने कहा कि नियमों के मुताबिक इतनी मामूली कमी को नजरअंदाज किया जाना चाहिए था, इसलिए उम्मीदवार को बाहर करना गलत था।
हाईकोर्ट ने इसे प्रथम दृष्टया गलत मानते हुए उम्मीदवार को आगे की चयन प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति दे दी। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि भर्ती के सभी अगले चरणों मेडिकल, फिजिकल या लिखित/साक्षात्कार को उम्मीदवार को स्वयं योग्यता के आधार पर पास करना होगा, तभी उसकी अंतिम नियुक्ति पर विचार किया जा सकेगा।
हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया
इस मामले में याचिका को प्रथम दृष्टया उम्मीदवार के पक्ष में पाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। अदालत का यह आदेश सीएपीएफ भर्ती प्रक्रिया में मेडिकल मानकों के लागू किए जाने के तरीके पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। माना जा रहा है कि भविष्य में ऐसे मामलों में कई अन्य अभ्यर्थियों को भी इसी तरह की राहत मिल सकती है।
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