दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) ने यमुना खादर क्षेत्र के ‘मजनू का टीला’ इलाके में अवैध रूप से चल रहे रेस्टोरेंट, कैफे और व्यावसायिक दुकानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। अदालत ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे यमुना नदी के किनारे लगे अतिक्रमण, जो संरक्षण नियमों और एमसीडी बिल्डिंग सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हैं, कानून के दायरे में रहकर हटाएं।
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के लगभग आधे छात्र इस इलाके में जाते हैं। कोर्ट ने यह सवाल भी उठाया कि पिछले 50-60 वर्षों से लोग यहां बसे हुए हैं और अवैध गतिविधियाँ चल रही हैं, फिर भी प्रशासन ने अब तक पर्याप्त कदम क्यों नहीं उठाए। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि साल के अंत और विशेषकर न्यू ईयर के समय भारी भीड़ जमा होने के कारण किसी बड़े हादसे या भगदड़ की संभावना बनी रहती है।
अधिकारियों का पक्ष और STF की भूमिका
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने स्पष्ट किया कि संबंधित भूमि DDA की है और विशेष कार्य बल (STF) पहले से ही इस मामले की निगरानी कर रहा है। DDA के वकील ने अदालत को बताया कि STF पोर्टल पर इस मुद्दे को लेकर एक ‘स्वतः संज्ञान’ शिकायत दर्ज की जा चुकी है और अतिक्रमण हटाने का अभियान लगातार जारी है।
याचिका की मुख्य मांगें
यह याचिका मजनू का टीला और न्यू अरुणा नगर में उन इमारतों के खिलाफ दायर की गई थी, जिनका उपयोग बिना स्वीकृत बिल्डिंग प्लान के कमर्शियल उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि इलाके में नेशनल बिल्डिंग कोड और फायर सेफ्टी नियमों को सख्ती से लागू किया जाए ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके। दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों को उचित कार्रवाई के निर्देश देते हुए इस याचिका का निपटारा कर दिया है।
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