नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) के प्रबंध निदेशक (MD) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली सरकार और केंद्र को नोटिस जारी किया. दरअसल याचिका में डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक के पद के लिए अधिकतम आयु सीमा तय करने की मांग की है. याचिका में यह भी घोषित करने की मांग की गई कि पद के लिए अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष होनी चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने प्रतिवादियों को जनहित याचिका (पीआईएल) पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया. हालांकि कोर्ट ने इस स्तर पर नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. मामले में आगे की सुनवाई 29 अप्रैल के लिए निर्धारित की गई है.

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याचिकाकर्ता भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय के अनुसार 10 फरवरी की अधिसूचना मनमाना है और समानता के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है. अधिसूचना को चुनौती देते हुए उपाध्याय ने तर्क दिया कि नोटिस के अनुसार, 5 साल के पद का कार्यकाल और 65 साल की सेवानिवृत्ति की तारीख आंतरिक और बाहरी दोनों उम्मीदवारों के लिए समान है. इसने कहा कि बाद की तारीख में कार्यकाल के विस्तार का कोई प्रावधान नहीं है.

याचिकाकर्ता ने कहा कि कार्यकाल 5 साल का है और 65 साल की सेवानिवृत्ति की तारीख आंतरिक एवं बाहरी उम्मीदवारों के लिए समान है. याचिका में आगे कहा गया है कि राज्य सरकार ने एक उपयुक्त उम्मीदवार की अनुपलब्धता की आड़ में वर्तमान प्रबंध निदेशक का कार्यकाल 4 बार बढ़ाया है, लेकिन मापदंडों को पूरा करने वाले अन्य मेट्रो से आवेदकों के लिए अधिकतम आयु अचानक कम कर दी है, जो कि यह पूरी तरह से मनमाना और अवैध प्रक्रिया है.

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याचिका में कहा गया है कि यह स्पष्ट है कि यह एक बेमेल या भेदभाव वाला फैसला है और अधिसूचना स्पष्ट रूप से मनमानी, तर्कहीन और अनुचित है और यह अनुच्छेद 14, 16, 21 का उल्लंघन करती है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार ने उपयुक्त उम्मीदवार की अनुपलब्धता की आड़ में वर्तमान प्रबंध निदेशक का कार्यकाल 4 बार बढ़ाया, लेकिन लखनऊ मेट्रो, चेन्नई मेट्रो जैसे अन्य मेट्रो के आवेदकों के लिए अधिकतम आयु अचानक कम कर दी, जहां वांछित कौशल वाले उम्मीदवार वरिष्ठ पदों पर काम कर रहे हैं और संभावित आवेदक हो सकते हैं.