बॉलीवुड के मशहूर फिल्ममेकर करण जौहर(Karan Johar) की छवि को सोशल मीडिया पर अश्लील मीम्स, वीडियोज और पोस्ट्स के जरिए बदनाम करने की कोशिशों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने करण जौहर के व्यक्तित्व अधिकारों (पर्सनैलिटी राइट्स) की रक्षा करते हुए इंस्टाग्राम, फेसबुक, पिंटरेस्ट और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया है कि वे ऐसी आपत्तिजनक सामग्री को तुरंत हटाएं।
कोर्ट का सख्त आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉलीवुड फिल्ममेकर करण जौहर की छवि का सोशल मीडिया पर गलत इस्तेमाल करने वाले 100 से ज्यादा यूआरएल्स को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की सामग्री को ‘उचित टिप्पणी’ या ‘ह्यूमर’ के दायरे में नहीं माना जा सकता। जस्टिस अरोड़ा ने कहा, “तकनीक के इस दौर में किसी भी व्यक्ति या संस्था के लिए किसी सेलिब्रिटी की पहचान का अनधिकृत इस्तेमाल करना आसान हो गया है। सेलिब्रिटीज को अपनी पहचान की रक्षा करने का पूरा हक है, क्योंकि उनकी छवि का व्यावसायिक मूल्य होता है।”
बॉलीवुड फिल्ममेकर करण जौहर की छवि, नाम, आवाज और उनके मशहूर उपनाम ‘KJo’ का बिना सहमति के माल बेचने, अश्लील सामग्री बनाने या एआई चैटबॉट्स और GIFs बनाने पर रोक लगाई है। हालांकि, कोर्ट ने करण के सिग्नेचर स्टाइल टूडल्स के इस्तेमाल पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
मेटा और गूगल का विरोध
मेटा और गूगल के वकीलों ने दावा किया कि कुछ सामग्री व्यंग्य, पैरोडी या हास्य की श्रेणी में आती है और व्यक्तित्व अधिकारों के उल्लंघन से मुक्त है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे आदेश मुकदमों की बाढ़ ला सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने उनके तर्क को खारिज करते हुए करण जौहर के पक्ष में फैसला सुनाया और स्पष्ट किया कि उनकी पहचान का अनधिकृत इस्तेमाल स्वीकृत नहीं होगा।
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पहले भी बनी मिसाल
हाल ही में ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिषेक बच्चन के पक्ष में भी इसी तरह के आदेश पारित किए गए थे। इसके अलावा, 2024 में जैकी श्रॉफ, 2023 में अनिल कपूर और 2022 में अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व अधिकारों को भी कोर्ट ने संरक्षित किया था। विशेष रूप से अनिल कपूर के मामले में उनकी मशहूर डायलॉग ‘झकास’ के दुरुपयोग पर भी कोर्ट ने रोक लगाई थी।
क्या है पूरा मामला?
बॉलीवुड फिल्ममेकर करण जौहर ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनकी तस्वीरों, आवाज और पहचान का इस्तेमाल बिना अनुमति के अश्लील और अपमानजनक सामग्री बनाने के लिए किया जा रहा है। करण ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से बनाए गए डीपफेक वीडियो, मोर्फ्ड इमेज और चैटबॉट्स के जरिए उनकी छवि को नुकसान पहुँचाया जा रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि इस प्रकार की सामग्री उनकी प्रतिष्ठा और ब्रांड वैल्यू को ठेस पहुँचा रही है। 17 सितंबर को जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने अपने 31 पृष्ठ के आदेश में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे पिंटरेस्ट, गूगल और मेटा पर मौजूद वीडियो, मीम्स और पोस्ट्स में अपमानजनक और अश्लील शब्दों के साथ आपत्तिजनक इशारे पाए गए हैं। जस्टिस अरोड़ा ने लिखा, “यह सामग्री याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा और सद्भावना को नुकसान पहुंचा रही है।”
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