दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High-Ciourt) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि घातक रेल दुर्घटना(Train Accident) में मृतक के पास यात्रा टिकट न होने से मुआवजे के दावे को अस्वीकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि यात्री के रेल में उपस्थित होने के प्रमाण हैं, तो यह उसके आश्रितों को मुआवजा दिलाने के लिए पर्याप्त है. इसके अलावा, बेंच ने यह भी उल्लेख किया कि कई यात्रियों के लिए एक ही टिकट बनता है, इसलिए यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक यात्री के पास उसकी अलग कॉपी मौजूद हो.

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जस्टिस धर्मेश शर्मा की बेंच ने रेलवे को मृतक के परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया है. बेंच ने यह भी उल्लेख किया कि मामले में यह प्रमाणित हुआ है कि यात्रा से पहले यात्री ने टिकट खरीदी थी. बेंच ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल के निर्णय को अस्वीकार कर दिया है, जिसमें मृतक के पास यात्रा टिकट न होने के कारण उसके आश्रितों का मुआवजा दावा खारिज कर दिया गया था. इस मामले में मृतक के माता-पिता ने मुआवजे के लिए दावा प्रस्तुत किया है.

मृतक के माता-पिता ने मुआवजा याचिका में बताया कि उनका 24 वर्षीय बेटा 2017 में जबलपुर-निजामुद्दीन महाकौशल एक्सप्रेस से दिल्ली की यात्रा कर रहा था, जिसमें उसकी बहन और भतीजा भी शामिल थे. जब ट्रेन आगरा पहुंची, तब युवक गलती से ट्रेन से गिर गया और इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई. रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल ने मुआवजा याचिका की सुनवाई करते हुए यह स्वीकार किया कि युवक की मौत ट्रेन दुर्घटना के कारण हुई, लेकिन ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार, उस समय वह रेलवे का वास्तविक यात्री नहीं था.

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बेंच ने यह स्पष्ट किया कि ट्रेन का निर्धारित समय हमेशा सही नहीं होता. इस मामले में स्थिति तब बदल गई जब रेलवे ने बताया कि परिवार द्वारा प्रस्तुत रेल टिकट के अनुसार, जिस ट्रेन में वे यात्रा कर रहे थे, वह शाम को दिल्ली पहुंचती है, जबकि घटना रात को हुई. बेंच ने कहा कि भले ही ट्रेन के स्टेशन पर पहुंचने का समय निर्धारित होता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि कितनी ट्रेनें अपने निर्धारित समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचती हैं.

रेलवे ने घटना के दिन दिल्ली पहुंचने वाले ट्रेन के समय को प्रदान करने में असमर्थता जताई. बेंच ने रेलवे से उस दिन की संबंधित रेल का दिल्ली पहुंचने का समय मांगा, लेकिन रेलवे इसका सही समय नहीं बता सका. बेंच ने यह भी कहा कि मृतक का रेल यात्री होना टिकट और घटनास्थल पर मौजूद अन्य यात्रियों की गवाही से स्पष्ट होता है.

परिवार को मिलेगा 8 लाख रुपये का मुआवजा

हाईकोर्ट की बेंच ने रेलवे को निर्देश दिया है कि वह पीड़ित परिवार को 8 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे. इसके साथ ही, दुर्घटना की तारीख से लेकर मुआवजे के भुगतान तक की अवधि के लिए 12 प्रतिशत ब्याज भी पीड़ित परिवार को दिया जाए.