दिल्ली हाईकोर्ट ने सर गंगाराम अस्पताल को एक मृत व्यक्ति के माता-पिता को फ्रीज कराए गए स्पर्म सरोगेसी से बच्चा पैदा करने के लिए उसके सौंपने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि यदि ऐग या स्पर्म के मालिक की सहमति मिल जाए तो मृत व्यक्ति के जन्म के बाद बच्चा पैदा करने पर कोई रोक नहीं है.
मौत के बाद प्रजनन का अर्थ है एक या दोनों जैविक माता-पिता की मृत्यु के बाद सहायक प्रजनन प्रक्रियाओं, या सरोगेसी, का उपयोग करके गर्भधारण की प्रक्रिया.
“वर्तमान भारतीय कानून के तहत, यदि स्पर्म या ऐग के मालिक की सहमति का सबूत पेश किया जाता है, तो उसकी मौत के बाद प्रजनन पर कोई प्रतिबंध नहीं है.”
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अदालत ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय निर्णय लेगा कि क्या मौत के बाद प्रजनन या इससे संबंधित प्रश्नों का समाधान करने के लिए कोई कानून, अधिनियम या दिशा-निर्देश की जरूरत है या नहीं.
यह निर्णय सुनाते हुए अदालत ने सर गंगाराम अस्पताल को निर्देश दिया कि दंपती को उनके मृत अविवाहित बेटे के संरक्षित रखे गए स्पर्म को तुरंत दे दें, ताकि उनका वंश सरोगेसी के माध्यम से आगे बढ़ सके.
क्या है मामला?
2020 में कैंसर पीड़ित बेटे की कीमोथेरेपी शुरू होने से पहले, डॉक्टरों ने कहा कि कैंसर के इलाज से बांझपन हो सकता है, इसलिए उनके बेटे ने अस्पताल की आईवीएफ लैब में अपने वीर्य के नमूने को फ्रीज करने का निर्णय लिया.
मृतक के माता-पिता ने वीर्य का नमूना लेने के लिए अस्पताल से संपर्क किया, लेकिन अस्पताल ने कहा कि अदालत से उचित आदेश के बिना नमूना नहीं दिया जा सकता था.
अदालत ने 84 पेज के फैसले में कहा कि याचिका में संतान को जन्म देने से संबंधित कानूनी व नैतिक प्रश्नों समेत कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए गए हैं.
अदालत ने कहा, “अपने बेटे की अनुपस्थिति में माता-पिता को पोते-पोती को जन्म देने का मौका मिल सकता है. ऐसे हालात में कानूनी मुद्दों के अलावा आध्यात्मिक, नैतिक, आचारिक मुद्दे भी होते हैं.”
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