नई दिल्ली। दिल्ली जल बोर्ड ने राजधानी को तीन मंडलों में विभाजित किया है, ताकि 2024 तक दिल्ली के हर घर में चौबीसों घंटे 365 दिन पानी मिल सके. तीनों मंडल हैं- पूर्व और उत्तरपूर्व मंडल, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम मंडल और पश्चिम व उत्तर पश्चिम मंडल. इनसे पूरी दिल्ली में जलापूर्ति को नियंत्रित किया जाएगा.

परामर्शक भी नियुक्त

इसके अलावा दिल्ली जल बोर्ड ने ठेकेदारों के चयन के लिए निविदा दस्तावेज तैयार करने के लिए एक परामर्शक भी नियुक्त किया है. परामर्शक दिल्ली जल बोर्ड जल शोधन संयंत्रों, सीवेज शोधन संयंत्रों और प्राथमिक भूमिगत जलाशयों के संचालन और रखरखाव को देखेगा.

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बता दें कि हर जोन के लिए एक ठेकेदार नियुक्त किया जाएगा. उसे संबंधित इलाका सौंपने के 5 सालों के भीतर जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्मित करने के लिए पुनर्वास और निर्माण कार्य पूरा करना होगा. इसके बाद ठेकेदार 15 वर्षों तक अपने इलाके में पानी आपूर्ति और सीवेज प्रणाली का प्रबंधन करेगा.

चौबीसों घंटे आपूर्ति होगी बहाल

पानी की चौबीसों घंटे आपूर्ति बहाल करने के साथ ही दिल्ली सरकार का लक्ष्य गैर राजस्व जल (एनआरडब्ल्यू यानी कंज्यूमर तक पहुंचने से पहले लीक या चोरी हुआ पानी) को चरणबद्ध तरीके से कम कर 15 प्रतिशत तक लाना है.

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दिल्ली में गैरकानूनी बोरवेल और निजी टैंकरों पर लाखों आबादी है. गैरकानूनी बोरवेल और अन्य के चक्कर में करीब 42 प्रतिशत पानी चोरी या लीक हो जाता है. दिल्ली का औसत अगर निकाला जाए, तो यहां हर घर को रोजाना करीब 4 घंटे पानी की आपूर्ति होती है. दिल्ली जल बोर्ड हर दिन करीब 935 मिलियन गैलन पानी की आपूर्ति करता है, जबकि मांग 1,140 एमजीडी की है. एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली के पास मार्च 2025 तक 1,305 एमजीडी पानी होगा.

अभी कुछ दिनों पहले ही दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सीवेज पंपिंग स्टेशनों के लिए जल्द भूमि आवंटन के लिए डीडीए उपाध्यक्ष से मुलाकात की थी. राघव चड्ढा ने कहा था कि सीवेज की बढ़ती समस्या का समाधान विकेंद्रीकृत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सीवेज पंपिंग स्टेशनों के जरिए संभव है. डीडीए को बिना किसी देरी के भूमि आवंटित करनी चाहिए.
राघव चड्ढा ने बताया समस्या का समाधान
दिल्ली जल बोर्ड उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने विकेन्द्रीकृत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सीवेज पंपिंग स्टेशनों के लिए जल्द भूमि आवंटन के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष से मुलाकात की थी. वर्तमान में दिल्ली जल बोर्ड जमीन नहीं होने के कारण डीएसटीपी और एसपीएस के प्रस्तावित निर्माण कार्यों को नहीं कर पा रहा है, जबकि दिल्ली के ऐसे क्षेत्रों में सीवरेज नेटवर्क के विस्तार की जरूरत है, जहां पर सीवरेज की सही व्यवस्था नहीं है.