नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल की सरकार अभी आबकारी नीति को लेकर सीबीआई जांच के सदमे से ठीक से उबर नहीं पाई है कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने डीटीसी द्वारा 1000 लो-फ्लोर बसों की खरीदी को लेकर मिली शिकायत के बाद सीबीआई जांच के प्रस्ताव पर सहमति जता दी है. इस घटनाक्रम के बाद से एक बार फिर दिल्ली की सियासत गर्मा गई है.

इस साल जून में उपराज्यपाल वीके सक्सेना से की गई शिकायत में दावा किया गया था कि दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) ने पूर्व नियोजित तरीके से परिवहन मंत्री को बसों की निविदा व खरीद के लिए गठित समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया. शिकायत की गंभीरता को देखते हुए मुख्य सचिव द्वारा सीबीआई जांच के दिए गए प्रस्ताव को उपराज्यपाल ने स्वीकार कर लिया है.

उप राज्यपाल की मंजूरी के बाद दिल्ली में सियासत तेज हो सकती है. पहले से ही उपराज्यपाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए धरना-प्रदर्शन कर चुकी आम आदमी पार्टी इस आदेश के बाद और हमलावर हो गई है. पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने मीडिया से चर्चा में कहा कि दिल्ली को थोड़े पढ़े-लिखे राज्यपाल की जरूरत है. मौजूदा उपराज्यपाल को यह नहीं पता है कि वह किस पर हस्ताक्षर कर रहे हैं.

इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने कहा कि उपराज्यपाल पहले खुद पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब दें. इसके साथ ही उपराज्यपाल से तीन सवाल पूछे हैं, जिसमें नोटबंदी में पुराने नोटों को बदलवाने, केवीआइसी चेयरमैन रहते हुए बेटी को ठेका देने और हाई कोर्ट ऑर्डर के बाद भी कारीगरों को कैश में भुगतान करने पर उपराज्यपाल से जवाब मांगा है.

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