Delhi Map Will Change: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का नक्शा आने वाले दिनों बदल जाएगा। जी हां… दिल्ली में प्रशासनिक व्यवस्था को सरल, तेज और जनता के अनुकूल बनाने के लिए रेखा गुप्ता सरकार (Rekha Gupta Government) एक बड़ा पुनर्गठन करने जा रही है। दिल्ली में 11 की जगह 13 जिले होेंगे। वहीं 7 जिलों के नाम बदले जाएंगे। साथ ही, सब-डिवीजन (SDM ऑफिस) की संख्या भी 33 से बढ़ाकर 39 की जाएगी। सरकार का मानना है कि नई संरचना से जनता को तेज सेवा मिलेगी और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काफी कम हो जाएंगे।

दिल्ली कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। अब यह प्रस्ताव एलजी के पास जाएगा और अनुमति मिलते ही दिल्ली में नई जिलावार व्यवस्था लागू हो जाएगी।

सरकार की योजना है कि प्रत्येक जिले में एक मिनी सचिवालय बनाया जाए, जहां कानून-व्यवस्था को छोड़कर बाकी सभी विभागों से जुड़े काम एक ही परिसर में पूरे हों। इससे आम लोगों को कई दफ्तरों में भटकना नहीं पड़ेगा।


नए जिलों की प्रस्तावित सूची

  1. पुरानी दिल्ली – सदर बाजार, चांदनी चौक
  2. मध्य दिल्ली – डिफेंस कॉलोनी, कालकाजी
  3. नई दिल्ली – नई दिल्ली, दिल्ली कैंट
  4. सिविल लाइंस – अलीपुर, आदर्श नगर, बादली
  5. करोल बाग – मोती नगर, करोल बाग
  6. केशव पुरम – शालीमार बाग, शकूर बस्ती, मॉडल टाउन
  7. नरेला – नरेला, मुंडका, बवाना
  8. नजफगढ़ – द्वारका, बिजवासन–वसंत विहार, कापसहेड़ा, नजफगढ़
  9. रोहिणी – रोहिणी, मंगोलपुरी, किराड़ी
  10. शाहदरा दक्षिण – गांधी नगर, विश्वास नगर, कोंडली
  11. शाहदरा उत्तर – करावल नगर, सीमापुरी, सीलमपुर, शाहदरा
  12. दक्षिण जिला – महरौली, मालवीय नगर, देवली, आरके पुरम
  13. पश्चिम जिला – विकासपुरी, जनकपुरी, मादीपुर

कैसे बदलेगा दिल्ली का नक्शा?

नगर निगम के 11 जोन को आधार बनाकर जिलों की नई सीमाएं प्रस्तावित की गई हैं। बदलाव के अनुसार सदर जोन का नाम बदलकर पुरानी दिल्ली जिला रखा जाएगा। यमुना पार इलाके में पूर्वी और उत्तर–पूर्वी जिलों को समाप्त कर दो नए जिले शाहदरा उत्तर और शाहदरा दक्षिण बनाए जाएंगे। मौजूदा उत्तरी जिला दो हिस्सों सिविल लाइंस और पुरानी दिल्ली में बंटेगा। दक्षिण-पश्चिम जिले का बड़ा हिस्सा नए नजफगढ़ जिला में शामिल होगा।

जनता को क्या लाभ होगा?

दिल्ली की बड़ी आबादी रोजाना सरकारी कामों के लिए विभिन्न दफ्तरों के चक्कर काटती है। कई बार एक विभाग से दूसरे विभाग जाने में समय व धन दोनों की बर्बादी होती है। सरकार का मानना है कि जिलों और सब-डिवीजनों की संख्या बढ़ने से सेवाएं जनता के घर के करीब उपलब्ध होंगी। इसके साथ ही फाइलों का निपटारा तेज होगा, दफ्तरों में भीड़ कम होगी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली की तेजी से बढ़ती आबादी को देखते हुए यह पुनर्गठन समय की मांग है।

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