नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा में गुरुवार को मणिपुर हिंसा पर निंदा प्रस्ताव लाकर चर्चा की गई. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मणिपुर जल रहा है. अगर देश के लोग आपस में ऐसे ही लड़ते रहे तो भारत विश्वगुरु कैसे बनेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने चुप्पी साध रखी है. उधर, चर्चा का बहिष्कार कर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया.
भाजपा ने जताया एतराज आप विधायक दुर्गेश पाठक जैसे ही मणिपुर हिंसा पर चर्चा का प्रस्ताव लेकर आए तो विपक्ष में बैठे भाजपा विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया. विपक्ष ने कहा कि यहां दिल्ली के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए. दिल्ली विधानसभा में मणिपुर हिंसा के क्या मायने हैं. इसे लेकर कुछ देर तक सदन में हंगामा हुआ, जिसके बाद भाजपा के पांच विधायकों को सदन से बाहर निकाल दिया गया.
हंगामा खत्म होने के बाद दुर्गेश पाठक ने कहा कि जिस भूमि में जन्मी मैरीकॉम और मीराबाई चानू जैसी महिलाओं ने देश को सम्मान दिलाया, विपक्ष उस जगह की चर्चा ही नहीं करना चाहता. भाजपा के लोग बताएं कि वे मणिपुर को देश का हिस्सा मानते हैं या नहीं.
हर आपदा में चुप्पी साध लेती है केंद्र सरकार अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज मणिपुर में दो समुदाय एक-दूसरे से लड़ रहे हैं. महिलाओं के साथ गलत व्यवहार हो रहा है. 150 लोगों की हत्या हो चुकी है और 60 हजार लोग बेघर हो गए हैं, फिर भी केंद्र सरकार चुप है.
भाजपा विधायकों का मणिपुर के बिगड़ते हालात से कोई लेना देना नहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली भाजपा के विधायक कह रहे हैं कि मणिपुर से उनका कोई लेना-देना नहीं है. यह केवल भाजपा विधायकों की ही नहीं, बल्कि भाजपा के शीर्ष नेताओं की भी यही सोच है. पिछले नौ वर्ष में यह देखा गया है कि देश पर जब भी कोई आपदा आती है तो केंद्र सरकार चुप हो जाती है.