नई दिल्ली. किशोरी के यौन उत्पीड़न मामले में अदालत ने दोषी को 12 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि विकृत दिमाग के साथ बच्चों के खिलाफ यौन अपराध में लिप्त दोषी नरमी का पात्र नहीं है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बी. डागर की अदालत आरोपी एम नरशिमा के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे हैं, जिसके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने आईपीसी और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोपपत्र दायर किया था. अभियोजन पक्ष ने बताया था कि नरशिमा ने नौ जुलाई, 2016 को और कई अज्ञात पूर्व तारीखों पर 16 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न किया था. उसने पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों को जान से मारने की धमकी भी दी थी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि जिस दोषी को बच्चों के साथ यौन अपराध में लिप्त पाया गया है, वह किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है.