नई दिल्ली। दिल्ली के तिहाड़ जेल में बीते दस सालों में 39 महिलाओं की डिलवरी हुई है. ऐसे में जमानत के लिए गर्भवती होने को आधार नहीं बनाया जा सकता है. यह दलील दिल्ली पुलिस की ओर से उत्तर-पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़काने के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद सफुरा जरगर की जमानत याचिका पर दी अपनी स्टेटस रिपोर्ट में दी.
जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी की सदस्य और जामिया मिलिया इस्लामिया में एमफिल की छात्रा सफुरा जरगर को 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. 4 महीने की गर्भवती सफुरा के खिलाफ आतंकरोधी कानून यूएपीए लगाया गया है. स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया कि गर्भवती होने से उसके अपराध की गंभीरता कम नहीं हो जाती इसके अलावा जेल में उसे पर्याप्त चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है.
रिपोर्ट में बताया गया कि पूर्व में गर्भवती महिलाओं को गिरफ्तार कर जेल में रखने बल्कि जेल में डिलवरी के भी अनेक मामले हैं. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के हिसाब से गाइडलाइन तय है.
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल डीसीपी पीएस कुशवाहा द्वारा तैयार रिपोर्ट में बताया गया कि सफुरा को जेल में अलग सेल में अकेले रखा गया है, जहां नियमित रूप से डॉक्टर उनका चेकअप करते रहते हैं. इसके साथ अच्छा खाना और जरूरी दवाइयां भी दी जा रही है.