
देशभर में साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं से चिंतित नागरिकों के लिए एक सुखद समाचार आया है. दक्षिण-पश्चिम जिले की साइबर क्राइम पुलिस ने एक अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह का खुलासा करते हुए उसके चार मुख्य मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है. गिरोह का नेटवर्क झारखंड के साइबर धोखाधड़ी के केंद्र देवघर-जामताड़ा और राजस्थान के मेवात में फैला हुआ था, जिन्हें देश में “साइबर ठगी की राजधानी” माना जाता है. इस समूह ने एक सेवानिवृत्त DRDO वैज्ञानिक को अपना शिकार बनाते हुए उनकी जीवन की बचत, जो 40 लाख रुपये थी, ठग ली. गिरोह की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट होता है कि अब साइबर अपराधियों के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.
कस्टमर केयर के नाम पर ‘साइबर हमला’
यह घटना एक फिल्मी कहानी की तरह प्रतीत होती है, लेकिन इसके पीछे साइबर अपराधियों की खतरनाक योजना छिपी हुई है. 7 जनवरी 2025 को, DRDO से रिटायर हुए एक वैज्ञानिक ने Yahoo कस्टमर सपोर्ट का नंबर गूगल पर खोजा. गूगल सर्च में मिले फर्जी नंबर पर कॉल करते ही चालाक ठगों ने उन्हें अपने जाल में फंसा लिया. आरोपियों ने उन्हें व्हाट्सएप पर एक APK फाइल भेजी और उसे डाउनलोड करने के लिए कहा, जिससे उन्होंने फॉर्म भरने का झांसा दिया. जैसे ही फाइल इंस्टॉल हुई, अपराधियों को पीड़ित के मोबाइल का रिमोट एक्सेस मिल गया और उनकी बैंकिंग जानकारी तुरंत हैक कर ली गई. इसके परिणामस्वरूप, सात दिनों के भीतर उनके खातों से 40 लाख रुपये धीरे-धीरे गायब हो गए, और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी.
साइबर पुलिस की ‘ऑपरेशन क्लीन स्वीप’ कार्रवाई
18 जनवरी 2025 को साइबर थाना दक्षिण-पश्चिम में FIR संख्या 04/2025 के तहत एक मामला दर्ज किया गया. इसके पश्चात, ACP साइबर क्राइम श्री विक्रम सिंह और SHO राजेश वर्मा के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया. इस टीम ने तकनीकी विश्लेषण जैसे CDR, IPDR, बैंक लॉग और गूगल रिपोर्ट्स के साथ-साथ जमीनी निगरानी भी आरंभ की. आरोपी लगातार सिम और उपकरण बदलते रहे, लेकिन पुलिस की चतुराई और निरंतर निगरानी की रणनीति अंततः सफल रही. मुख्य आरोपी इकबाल अंसारी को झारखंड के देवघर से गिरफ्तार किया गया, और इसके बाद मेवात से तीन अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया.
गिरफ्तार साइबर अपराधियों की प्रोफाइल
1. इकबाल अंसारी (27 वर्ष), देवघर, झारखंड – एक मास्टरमाइंड जो फर्जी गूगल विज्ञापनों और कॉल फॉरवर्डिंग में विशेषज्ञता रखता है.
2. साजिद खान (32 वर्ष), मेवात, राजस्थान – फर्जी बैंक खातों के माध्यम से धोखाधड़ी करने में संलग्न था.
3. सलमान खान (24 वर्ष), मेवात, राजस्थान – सोशल मीडिया से जानकारी चुराकर लक्ष्यों का चयन करता था.
4. नरेंद्र कुमार (29 वर्ष), मेवात, राजस्थान – एटीएम से नकद निकालने में कुशल.
दिल्ली पुलिस द्वारा बरामदगी और खुलासे
स्मार्टफोन में APK फाइल भेजने की प्रक्रिया होती थी.
एक्सेल शीट्स में देशभर के हजारों व्यक्तियों की संवेदनशील जानकारी जैसे मोबाइल नंबर, बैंक खाता विवरण, CVV कोड और पैन कार्ड की जानकारी शामिल थी.
अपराधियों ने यह स्वीकार किया कि वे BSES, IGL और क्रेडिट कार्ड भुगतान जैसी सेवाओं से संबंधित फर्जी कॉल करके लोगों को APK फाइल डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करते थे.
गिरोह कैसे करता था साइबर हमला ?
1. गूगल पर नकली कस्टमर केयर नंबर डालते हैं.
2. कॉल करने वाले पीड़ितों से सीधे बातचीत कर उनका विश्वास हासिल करते हैं.
3. व्हाट्सएप के माध्यम से खतरनाक APK फाइल भेजी जाती थी.
4. इसे इंस्टॉल करते ही मोबाइल पर रिमोट कंट्रोल प्राप्त कर बैंक खाते से पैसे निकाल लेते हैं.
5. ठगी की गई राशि को विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर नकद निकालते हैं.
साइबर पुलिस की जनता से अपील
ACP विक्रम सिंह ने चेतावनी दी है कि किसी भी स्थिति में थर्ड पार्टी एप्लिकेशन या फाइलें डाउनलोड नहीं करनी चाहिए. गूगल पर उपलब्ध किसी भी ग्राहक सेवा नंबर पर बिना सोचे-समझे विश्वास न करें. बैंकिंग या अन्य सेवाओं के लिए केवल आधिकारिक वेबसाइटों और हेल्पलाइन का उपयोग करना चाहिए.
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