दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है. राजधानी की प्रमुख सड़कों पर स्थित सेंट्रल वर्ज के खंभों पर मिस्ट स्प्रे (mist spray) का उपयोग किया जाएगा, जिसका मुख्य उद्देश्य वायु गुणवत्ता में सुधार करना और प्रदूषण को कम करना है. पर्यावरण विभाग ने इस प्रणाली को लागू करने के लिए आवश्यक आदेश जारी कर दिए हैं, जिससे यह व्यवस्था जल्द ही पूरे दिल्ली में लागू होगी.

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मिस्ट स्प्रे सिस्टम में पानी की बूँदें वायु में छिड़की जाती हैं, जिससे धूल के कण नीचे गिर जाते हैं. इस प्रक्रिया से हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है और प्रदूषण का स्तर घटता है. यह प्रणाली पूरे वर्ष कार्यरत रहेगी, केवल मानसून के चार महीनों को छोड़कर. पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव, अनिल कुमार सिंह ने बताया कि दिल्ली को सालभर प्रदूषण का सामना करना पड़ता है, लेकिन सर्दियों में यह समस्या और अधिक गंभीर हो जाती है.

दिल्ली के प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट को भी चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के वायु प्रदूषण के प्रति अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है. अदालत ने राज्य सरकार और अन्य संबंधित एजेंसियों को प्रदूषण को कम करने के लिए पानी का छिड़काव करने की सलाह दी है. इसके साथ ही, दिल्ली में 13 ऐसे हॉट स्पॉट भी पहचाने गए हैं, जहां पीएम 10 और पीएम 2.5 के कणों की मात्रा अधिक पाई जाती है. इन स्थानों पर वाहनों की अधिकता, निर्माण कार्य, सड़क की धूल और अन्य प्रदूषणकारी तत्वों के कारण वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गया है.

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पायलट प्रोजेक्ट के तहत मिस्ट स्प्रे सिस्टम

दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) ने एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ क्षेत्रों में मिस्ट स्प्रे सिस्टम स्थापित किया था, जिसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं. अब इस परियोजना को व्यापक स्तर पर लागू करने की योजना बनाई गई है. इसके साथ ही, प्रदूषण नियंत्रण के लिए वाटर स्प्रिंकलर और एंटी स्मॉग गन का भी उपयोग किया जा रहा है.

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PWD, MCD, DDA और NDMC को मिली जिम्मेदारी

पर्यावरण विभाग ने PWD, MCD, DDA और NDMC जैसी सभी संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे सड़कों के केंद्रीय वर्ज पर खंभों पर मिस्ट स्प्रे सिस्टम स्थापित करें. प्रारंभ में, यह प्रणाली प्रदूषण के हॉट स्पॉट्स पर लागू की जाएगी, और शेष क्षेत्रों में इसे अगले पंद्रह दिनों के भीतर लागू किया जाएगा. हालांकि, यह प्रणाली मानसून के दौरान (15 जून से 1 अक्टूबर) प्रभावी नहीं होगी, लेकिन वर्ष के अन्य समय में यह कार्यशील रहेगी. इसके अलावा, एजेंसियों को हर तीन महीने में इस योजना की प्रगति की रिपोर्ट विभाग को प्रस्तुत करनी होगी.

दिल्ली में प्रदूषण की बढ़ती समस्या को ध्यान में रखते हुए यह कदम एक सकारात्मक पहल है, जो न केवल शहर के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा में भी योगदान देगा.