दिल्ली के निवासियों को अब घर से कूड़ा उठाने के लिए नगर निगम को हर महीने 50 से 200 रुपये का उपयोगकर्ता शुल्क देना होगा. दिल्ली नगर निगम ने ठोस कचरा प्रबंधन-2018 के तहत इस शुल्क को सात साल बाद लागू किया है. इससे उन संपत्ति मालिकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा, जो पहले से ही नगर निगम को संपत्तिकर का भुगतान कर रहे थे, क्योंकि अब यह शुल्क संपत्तिकर के साथ लिया जाएगा. इसका मतलब है कि जब संपत्ति मालिक संपत्तिकर का भुगतान करेंगे, तो उन्हें कूड़ा उठाने का उपयोगकर्ता शुल्क भी देना होगा. इससे रिहायशी संपत्ति मालिकों को संपत्तिकर में न्यूनतम 600 रुपये से लेकर अधिकतम 2,400 रुपये तक का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा.

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निगम अधिकारियों ने जानकारी दी है कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के तहत यूजर चार्ज वसूलने का प्रावधान मौजूद है. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस नियम को आठ अप्रैल 2016 को पूरे देश में अधिसूचित किया था. जनवरी 2018 में तत्कालीन उपराज्यपाल की अनुमति के बाद, दिल्ली सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की. इस नियम के अंतर्गत रिहायशी और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से श्रेणियों के अनुसार यूजर चार्ज वसूलने की प्रक्रिया निर्धारित की गई. इसके बाद, उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण दिल्ली नगर निगमों के लिए वर्ष 2019 और 2020 में सदन की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिली, जिसे अब लागू किया गया है.

कूड़ा उठाने के लिए शुल्क पर महापौर का विरोध

महापौर महेश कुमार खींची, उपमहापौर रविंद्र भारद्वाज और नेता सदन मुकेश गोयल ने संपत्ति कर पर कूड़ा उठाने के लिए यूजर चार्ज वसूलने के निर्णय का विरोध किया.

महापौर ने सोमवार को सिविक सेंटर में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि निगम आयुक्त ने संपत्ति कर के साथ यूजर चार्ज को जोड़ना एक गलत कदम है. उन्होंने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया और बताया कि इस प्रकार के प्रस्ताव को पहले सदन में चर्चा के लिए लाना चाहिए था, ताकि सदन की मंजूरी प्राप्त की जा सके. बिना सदन की अनुमति के इस निर्णय को लागू करना अनुचित है. सोमवार को कई लोगों ने फोन करके जानकारी दी कि संपत्ति कर का ऑनलाइन भुगतान करते समय यूजर चार्ज भी जोड़ा गया है.

नेता सदन ने बताया कि वर्तमान में दिल्ली में कूड़ा उठाने वाली एजेंसी अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा नहीं रही है. मध्य जोन और अन्य क्षेत्रों में कूड़ा उठाने के लिए दिए गए टेंडर समाप्त हो रहे हैं, लेकिन उनके नवीनीकरण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिसके कारण दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर कूड़ा बिखर रहा है. निगम को पहले अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है, उसके बाद ही यूजर चार्ज जैसी व्यवस्थाओं पर विचार करना चाहिए. निगम अधिकारियों ने जानकारी दी कि निगम को केंद्र सरकार से स्वच्छ भारत मिशन के तहत लैंडफिल साइट के पुराने कचरे के जैव खनन के लिए बजट प्राप्त होता है. हाल ही में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने निगम को सूचित किया है कि ठोस कचरा प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) नियम 2016 के तहत निगम प्रशासन ऑनलाइन माध्यम से यूजर चार्ज इकट्ठा करेगा, जिससे जैव खनन के लिए बजट मिल सकेगा.

विभिन्न श्रेणियों के अनुसार शुल्क संरचना इस प्रकार है: 50 वर्ग मीटर तक के आवासीय मकानों के लिए ₹50 निर्धारित किया गया है. 50 से 200 वर्ग मीटर के आवासीय मकानों पर ₹100 का शुल्क लगेगा. 200 वर्ग मीटर से अधिक के आवासीय मकानों के लिए शुल्क ₹200 है. रेहड़ी-पटरी वालों के लिए शुल्क ₹100 है. व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, जैसे कि शॉप, ढाबा, और स्वीट शॉप के लिए शुल्क ₹500 निर्धारित किया गया है.

मकान मालिकों से लेकर रेहड़ी-पटरी वालों से भी होगी वसूली

श्रेणी यूजर चार्ज (प्रति महीने)

50 वर्ग मीटर के आवासीय मकानों के लिए 50 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है, जबकि 50 से 200 वर्ग मीटर के आवासीय मकानों पर 100 रुपये का शुल्क लगेगा. 200 वर्ग मीटर से अधिक के आवासीय मकानों के लिए यह शुल्क 200 रुपये है.

सड़क विक्रेताओं के लिए शुल्क 100 रुपये है.

व्यावसायिक प्रतिष्ठानों जैसे शॉप, ढाबा, स्वीट शॉप और कॉफी हाउस के लिए 500 रुपये का शुल्क लिया जाएगा.

गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं के लिए शुल्क 2,000 रुपये है, जबकि होस्टल के लिए भी यही राशि निर्धारित की गई है.

50 लोगों की बैठने की क्षमता वाले रेस्तरां से 2,000 रुपये और 50 से अधिक की क्षमता वाले रेस्तरां से 3,000 रुपये का शुल्क लिया जाएगा. बिना शुरू हुए होटलों के लिए 3,000 रुपये और तीन सितारा होटलों के लिए भी यही राशि है, जबकि तीन सितारा से अधिक होटलों के लिए शुल्क 5,000 रुपये है.

व्यावसायिक कार्यालय, सरकारी कार्यालय, बैंक, बीमा कार्यालय, कोचिंग क्लासेज और शिक्षण संस्थानों से 2,000 रुपये का शुल्क लिया जाएगा.

क्लीनिक, डिस्पेंसरी और लैब (50 बेड तक) के लिए नॉन बायो मेडिकल वेस्ट का शुल्क 2,000 से 4,000 रुपये के बीच होगा. लघु एवं कुटीर उद्योग और कार्यशालाओं के लिए (केवल गैर खतरनाक अपशिष्ट) 3,000 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है. गोडाउन और कोल्ड स्टोरेज के लिए भी शुल्क लागू होगा.