Delhi School Bomb Threat: दिल्ली-एनसीआर के लगभग 100 स्कूलों को भेजे गए बम अफवाह वाले ईमेल के अपराधियों ने एक रूसी ईमेल (E-mail) सर्विस का इस्तेमाल किया था। यह सर्विस यूजर्स को गुमनाम रहने और अवैध गतिविधियों को छिपाने में मदद करती है। ईमेल भेजने वालों ने बदमाशों आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (Islamic State-IS) की प्रचार सामग्री द्वारा इस्तेमाल की गई शैली की नकल की है। उदाहरण के तौर पर, ईमेल (E-mail) के यूजर का नाम ‘Sawariim’ है, जो ‘al-Sawarim’ शब्द का विरूपण है, जिसका अरबी में अनुवाद ‘The Swords’ होता है। व्यापक संदर्भ में समझें तो यह शब्द जिहादी प्रोपेगेंडा से जुड़ा है।
सेंडर [email protected] ने टेम्पेल नामक एक फ्री ईमेल सर्विस का इस्तेमाल किया जो टेंपरेरी ईमेल एड्रेस प्रदान करती है ‘जो 1 घंटे के बाद खत्म हो जाते हैं। अपनी वेबसाइट पर, टेम्पेल का दावा है कि उसकी टेंपरेरी आईडी का इस्तेमाल वेबसाइटों और फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर साइन अप करने के लिए किया जा सकता है। इनका इस्तेमाल ईमेल भेजने और प्राप्त करने के लिए भी किया जा सकता है।
वहीं दिल्ली पुलिस (Delhi Police) का भी कहना है कि बुधवार को दिल्ली-एनसीआर के 250 से ज्यादा स्कूलों को फर्जी धमकियां भेजने के लिए इस्तेमाल की गई ईमेल आईडी के कंट्री डोमेन (.ru) का इस्तेमाल पिछले साल शहर के एक निजी स्कूल को भेजे गए इसी तरह के ईमेल के लिए भी किया गया था।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जांच में शामिल दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि संदिग्ध ने संभवतः अपनी पहचान छिपाने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल किया है। पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में लोगों पर नजर रखना मुश्किल हो सकता है। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने यह भी कहा कि उन्हें गहरी साजिश का संदेह है।
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इंटरपोल को लेटर लिखकर मांगी जाएगी मदद
अधिकारी ने कहा कि हम इंटरपोल को एक डेमी ऑफिशियल (डीओ) को लेटर भेजकर उनसे मदद मांगेंगे, जिसमें ईमेल एड्रेस के लिए साइन अप करने वाले शख्स का ब्योरा मांगा जाएगा। इस मामले में दिल्ली पुलिस के अधिकारी का कहना है कि हम जीमेल भेजने वाले रजिस्टर्ड यूजर की डीटेल जानने में मदद के लिए रूसी कंपनी से भी संपर्क करेंगे।
रूसी डोमेन का इस्तेमाल
बता दें कि, Mail.ru रूसी कंपनी VK द्वारा सर्विस दी जाने वाली ईमेल सेवा है। ठीक उसी तरह जैसे Gmail या Outlook क्रमशः Google और Microsoft द्वारा प्रदान की जाने वाली ईमेल सेवाएं है। इस मामले में, .ru रूसी वेबसाइटों के लिए देश कोड का डोमेन है, जैसे .in भारत के लिए है. जीमेल और आउटलुक की तरह ही, दुनिया में कहीं पर भी बैठा कोई भी शख्स Mail.ru अकाउंट बना सकता है और ईमेल भेजने और प्राप्त करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकता है। पुलिस का कहना है कि इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि ईमेल रूस से ही भेजा गया था।
इस्लामिक स्टेट की नकल का प्रयास
ऐसा प्रतीत होता है कि ईमेल भेजने वालों ने आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) की प्रचार सामग्री द्वारा इस्तेमाल की गई शैली की नकल की है। उदाहरण के तौर पर, ईमेल के यूजर का नाम ‘Sawariim’ है, जो ‘al-Sawarim’ शब्द का विरूपण है, जिसका अरबी में अनुवाद ‘The Swords’ होता है. व्यापक संदर्भ में समझें तो यह शब्द जिहादी प्रोपेगेंडा से जुड़ा है। जिहादी शब्दावली में ‘Sawarim’ व्यापक रूप से ‘Salil al-Sawarim’ से जुड़ा हुआ है जो 2014 में आईएस द्वारा बनाया गया एक नशीद है जिसके बोल में खून-खराबा और जंग का जिक्र है, लेकिन क्या संभावना है कि आईएस ने ये धमकी भरे ईमेल भेजे होंगे? इसकी संभावना बेहद कम है। दिल्ली पुलिस ने इन खतरों को ‘hoax’ के रूप में वर्गीकृत किया है।
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पिछले साल भी .ru कंट्री कोड का इस्तेमाल किया गया था
गौरतलब है कि पिछले साल 12 अप्रैल को भी साउथ दिल्ली के सादिक नगर स्थित द इंडियन स्कूल को फर्जी धमकी भेजने के लिए भी .ru कंट्री कोड का इस्तेमाल किया गया था। यह जानने के लिए कि फर्जी ईमेल कहां से आई, इसके लिए जांच एजेंसियों को भेजने वाले शख्स के जीमेल अकाउंट के बारे में जानने के लिए रूसी कंपनी से संपर्क करना होगा। हालांकि, कंपनी यूजर्स के अनुरोध को किसी तीसरे देश में स्थित सर्वर के जरिए किसी वेबसाइट (जैसे Google.com) या ऑनलाइन सेवा पर दोबारा भेजते हैं. सेवा प्रदाता (इस मामले में Google.com) से यूजर्स के स्थान और आईपी पते को वीपीएन सर्वर से बदल देते हैं। इसने जांच-एजेंसियों के लिए ऑनलाइन अपराध कर रहे अपराधियों को ट्रैक करना कठिन बना दिया है।
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