नई दिल्ली. दिल्ली सेवा विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. विधेयक में राष्ट्रीय राजधानी में ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए प्राधिकरण के गठन और ऐसी नियुक्तियों पर केंद्र सरकार को प्रधानता देने का प्रावधान है.
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम 2023 को अपनी स्वीकृति दे दी है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह विधेयक कानून में तब्दील हो गया. यह अधिनियम दिल्ली के उपराज्यपाल को अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती को लेकर अंतिम अधिकार देता है और सेवाओं पर केंद्र सरकार के नियंत्रण को मजबूत करता है. इससे पहले 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि दिल्ली में सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि के मामलों पर केंद्र सरकार का, सेवाओं पर निर्वाचित सरकार का नियंत्रण होगा.
क्या है कानून में?
इसके अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 239 (क) (क) को प्रभावी बनाने की दृष्टि से अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग और अन्य मुद्दों से संबंधित विषयों पर एक स्थाई प्राधिकरण का गठन किया जाएगा. इसके गठन से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और केंद्र सरकार के हितों का संतुलन होगा. इस प्राधिकरण के अंदर सारे फैसले बहुमत से लिए जाएंगे. एलजी प्राधिकरण की सिफारिशों के आधार पर फैसले लेंगे.
सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन में बताया गया है कि इस अधिनियम को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 कहा जाएगा. वहीं, इस अधिनियम को 19 मई, 2023 से लागू माना जाएगा. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 (जिसे इसके बाद मूल अधिनियम के रूप में संदर्भित किया गया है) की धारा 2 में खंड (ई) में कुछ प्रावधान शामिल किए गए हैं. अब उपराज्यपाल का अर्थ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 के तहत नियुक्त प्रशासक और राष्ट्रपति द्वारा उपराज्यपाल के रूप में नामित किया गया है.